ज्ञातव्य है कि पिछले साल 30 अप्रैल को लोकसभा के मतदान के दौरान हुई इस घटना पर चुनाव आयोग के हस्तक्षेप पर राज्य सरकार ने स्थानीय क्राईम ब्रांच को इसकी जांच सौंपी गई थी जिसने दो अलग अलग मामले (मोदी के अपना वोट डालने के बाद मतदान केन्द्र के निकट पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ सेल्फी लेने तथा उनके मीडिया को जमा कर सभा के अंदाज में संबोधित करने) दर्ज किए थे पर दोनो में मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। उसकी क्लोजर रिपोर्ट के बाद निचली अदालत ने मामले को खारिज कर दिया था।
इस आदेश को स्थानीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने भी सही ठहराया था। पर आम आदमी पार्टी के पूर्व कार्यकर्ता निशांत वर्मा, जिन्होंने मोदी के खिलाफ इस मामले में जन प्रतिधित्व कानून की धारा 126 यानी आदर्श आचार संहित के उल्लंघन के अलावा भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी के तहत भी आपराधिक मामले दर्ज करने का आवेदन दिया था, ने इसके बाद गत मई माह में हाई कोर्ट के समक्ष समीक्षा याचिका दायर की थी।