
नई दिल्ली। देश के दक्षिण राज्य केरल में भारी बारिश के बाद बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। जबकि कुछ ऐसे हालात निकटवर्ती राज्य कर्नाटक के भी बनते जा रहे हैं। केरल में सैकड़ों लोग बाढ़ की भेंट चढ़ चुके हैं, जबकि लाखों की संख्या में लोग बेघर होकर राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। बाढ़ की विभीषिका का आलम यह है कि चारों ओर पानी होने की वजह से यहां मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं हो पा रही है।
महाराष्ट्र और गोवा में भी केरल जैसी तबाही
इस बीच देश के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् माधव गाडगिल ने महाराष्ट्र और गोवा राज्यों में भी बाढ़ जैसे हालात बनने की आशंका जाहिर की है। गाडविल का कहना है कि अगर 2011 में उनके द्वारा सौंपी गई वेस्टर्न घाट इकोलॉजी एक्सपर्ट पैनल रिपोर्ट पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो महाराष्ट्र और गोवा में भी केरल जैसी तबाही देखने को मिल सकती है।
केरल में आई आपदा को इंसानों की ही देन
एक अंग्रेजी समाचार पत्र से बातचीत करते हुए गाडविल ने कहा कि केरल, महाराष्ट्र और गोवा में बारिश की तीव्रता अलग होने के बावजूद भी पर्यावरणीय हालात एक जैसे हैं। पर्यावरणविद का कहा है कि महाराष्ट्र और गोवा में हालांकि केरल जैसी भारी बारिश नहीं हुई, लेकिन पुणे के मलिन में बाढ़ और भूस्खलन के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि महाराष्ट्र के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों में पर्यावरणीय चिंताए प्रबल हैं। हालांकि उन्होंने केरल में आई आपदा को इंसानों की ही देन बताया है। जिसके पीछे अवैध निर्माण और अधिक खनन मुख्य कारणों में से एक हैं।
Published on:
22 Aug 2018 09:11 am
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