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Covid-19 के मरीजों की स्थिति के बारे हाई कोर्ट ने किया दिल्ली सरकार से जवाब-तलब

देश मे कोरोना की दो लहरों के बाद अब तक 3 करोड़ से भी अधिक केस आ चुके है और 4 लाख से अधिक जानें जा चुकी हैं। एक समय पर कोरोना के हॉटस्पॉट रहे दिल्ली मे अब हालात सुधर रहे हैं। पर दूसरी लहर के बाद की स्थिति को देखते हुए हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से अस्पतालों में मरीजों की स्थिति की जानकारी उनके परिवार को देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस बारे में जवाब मांगा है।

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Delhi High Court

Delhi High Court

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) की सरकार कोरोना के इस मुश्किल समय में अलग-अलग वजहों से ख़बरों में रही है। चाहे वह अस्पतालों में वेंटिलेटर और बिस्तरों की स्थिति के बारे में केंद्र सरकार पर सवाल उठाने हो, ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी के मुद्दे को खींचना हो या फिर वैक्सीन डोज़ की संख्या के बारे में शिकायत करना हो।

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ऐसे मे शुक्रवार को हाई कोर्ट ने अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीजों की स्थिति और उनके इलाज की जानकारी उनके परिवार तक पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस पर जवाब मांगा है। ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से पहुंचे वकील संतोष कुमार त्रिपाठी के आग्रह पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने सरकार को एनजीओ की फाइल की गई याचिका का जवाब देने के लिए कुछ और समय दिया है।

हाई कोर्ट की इस बेंच ने कहा है कि दिल्ली सरकार के एफिडेविट में इस विषय में अब तक उठाए गए सभी कदम और भविष्य में इस बारे में उठाए जाने वाले सभी कदमों की जानकारी होनी चाहिए। इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त को होगी। हाई कोर्ट ने एनजीओ मानव आवाज़ ट्रस्ट की याचिका के बाद 27 मई को दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। इस याचिका के अनुसार वर्तमान समय मे अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीज़ों के परिवारों को सिर्फ उनके मरने की या अस्पताल की फीस जमा कराने के बारे में ही खबर दी जाती है।

सरकारी गाइडलाइन

मानव आवाज़ ट्रस्ट एनजीओ ने कहा है कि मरीज़ों की तबीयत की स्थिति और होने वाले बदलावों के बारे में उनके परिवारों को दैनिक रूप से सूचित करने के बारे में दिल्ली सरकार ने कोई भी नियम या गाइडलाइन जारी नहीं की है।

एनजीओ का सुझाव

ऐसे मे एनजीओ ने यह सुझाव दिया है कि मरीज़ों की तबीयत और स्थिति में रोज़ होने वाले बदलाव, सुधार आदि की जानकारी अस्पतालों द्वारा वाट्सऐप, एसएमएस, ईमेल या अन्य किसी भी तरीके से मरीजों के परिवारों तक प्रतिदिन पहुंचाई जा सकती है। इससे उनके परिवारों को इस कठिन समय मे विश्वास मिलेगा और उनकी उम्मीद बढ़ेगी।