25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

#karsalaam बंगाल के ये तीन शेर जिनके साहस के आगे अंग्रेजों ने भी टेक दिए घुटने

ये तीनों बंगाल के युवा है और आज इनके नाम पर कोलकाता में एक स्थान भी है।

2 min read
Google source verification

image

Ravi Gupta

Jan 12, 2018

kar salam

नई दिल्ली। भारत के स्वाधीनता संग्राम में कई लोगों ने देश के लिए अपनी जान गंवाई। आज उनके बलिदान के कारण ही हम सुकून की जिंदगी जी रहे हैं। आज भी हम आपको तीन ऐसे ही जांबाज के बारे में बताने जा रहे है जिनके बारे में जानकर आप भी उपके साहस के कायल हो जाएंगे। ये तीनों बंगाल के युवा है और आज इनके नाम पर कोलकाता में एक स्थान भी है। इन तीनों का नाम है विनय बसु, बादल गुप्ता और दीनेश गुप्ता। इन तीनों का ही जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। आज हम इनसे जुड़े एक खास वाक्ये से आपका रूबरू करवाएंगे।

स्वाधीनता के समय अंग्रेजो के अत्याचारों से सभी पीडि़त थे। उसी वक्त एनएस सिम्पसन नाम का एक अंग्रेज था और वो उस समय बंगाल के सभी जेलों के मुख्य थे और कैदियों पर बहुत अत्याचार करते थे। सिम्पसन को भारतीयों से बहुत नफरत था। इन क्रान्तिकारियों ने ये ठान लिया था कि सिम्पसन को सबक सिखाना है जिसके चलते इन तीन युवाओं ने ही एक प्लान की तैयारी की। उस समय कोलकाता में स्थित राइटर्स बिल्डिंग सत्ता का केंद्र होने के कारण सभी अंग्रेज अफसर वहीं बैठते थे।

इन तीनों ने ये निश्चय किया कि सिम्पसन को राइटर्स में घुसकर ही मारेंगे और इस वजह से इन तीनों ने अंग्रेजो का रूप धारण किया और राइटर्स में घुस गए। इसके बाद इन्होनें बिल्डिंग के अंदर ताबडतोड़ गोलियों को बरसाना शुरू कर दिया जिसमें सिम्पसन मारा गया और अन्य कई अंग्रेज भी मारे गए। जैसे ही ये बिल्डिंग से निकलने के लिए भागे तभी वहां पर उपस्थित सुरक्षा कर्मियों ने उन तीनों को पकड़ लिया। पकड़े जाने पर बादल ने पोटेशियम साइनाइड खा लिया और उसकी मौत हो गई। विनय और दिनेश ने खुद को गोली मार दी। विनय कुछ दिनों बाद मारा गया लेकिन दिनेश बच गया और उसे फांसी की सज़ा दे दी गई। कोलकाता में आज भी रायटर्स बिल्डिंग मौजुद है और बी.बी.डी बाग नाम से कोलकाता मेंएक स्थान भी है। इनके बलिदान को पत्रिका परिवार का सलाम।