दीपक मिश्रा की बेंच कर रही है सुनवाई
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। आधार के लिए जाने वाले डेटा को निजता के अधिकार में दखल बताते हुए आधार की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। दीवान आधार के खिलाफ दलील पेश कर रहे थे। मामले की सुनवाई के दौरान श्याम दीवान ने केंद्र सरकार के हलफनामे का उल्लेख किया। इसमें कहा गया है कि विश्व बैंक की रिपोर्ट है कि भारत ने आधार के इस्तेमाल से सालाना 11 बिलियन यूएस डॉलर बचाए हैं। दीवान ने दलील दी कि विश्व बैंक के डेटा का केंद्र सरकार इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने दलील दी कि विश्व बैंक का डेटा प्रामाणिक नहीं है, क्योंकि हाल में विश्व बैंक के चीफ पॉल रोमर ने यह कहते हुए इस्तीफा दिया था कि डेटा में पूर्णता और शुद्धता नहीं है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने श्याम दीवान से पूछा कि इसमें कितना विस्तार है। तब याचिकाकर्ता की ओर से बहस किए जाने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यहां आवाज ऊंची करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि जिस तरह से आप दलील पेश कर रहे हैं, वह सही तरीका नहीं हो सकता। संवैधानिक मामले में अतिशयोक्ति वाली जिरह नहीं हो सकती।
वकील दीवान ने जताया खेद
इस पर सीनियर वकील ने खेद जताया और कोर्ट से माफी मांगी। बाद में जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस माफी को स्वीकार कर ली। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जज बनने से पहले वह 20 साल वकालत की प्रैक्टिस में रहे और वह तब अपसेट होते थे, जब जज उनसे सवाल नहीं करते थे। जस्टिस एके सिकरी ने कहा कि जब केंद्र सरकार की बारी आएगी तो उनसे भी ढेरों सवाल होंगे।