
नई दिल्ली। हमारे देश में आज भी छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवाओं में भी प्रशासनिक अधिकारी बनने का ख्वाब देखते हैं। लेकिन ये स्टोरी सुनने के बाद शायद कई युवाओं में इस पद को लेकर थोड़ी बहुत असहजता आ सकती है। दरअसल इस स्टोरी में हम सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी प्रदीप कासनी के बारे में कुछ बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आपको भारत सरकार का एक और चेहरा दिख जाएगा।
उससे पहले आपको बता दें कि प्रदीप ने अपने 34 साल के कार्यकाल में पूरी ईमानदारी से देश की सेवा की है। लेकिन ईमानदारी की वजह से प्रदीप की ऐसी खातिरदारी हुई कि आप लोगों का मुंह खुला का खुला रह जाएगा। प्रदीप का 34 साल के कार्यकाल में 71 बार ट्रांसफर हुआ। और सबसे बुरा तो ये है कि उन्हें आखिरी 6 महीनों के काम की सैलरी नहीं मिली और ऐसे ही नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए।
बताया जा रहा है कि प्रदीप की पोस्टिंग हरियाणा के लैंड यूज़ बोर्ड में की गई थी। जहां पिछले 10 साल से कोई काम नहीं हो रहा था। इसके बारे में प्रदीप ने जब राज्य के अधिकारियों से कर्मचारियों की गैर-हाज़िरी के बारे में जानकारी मांगी तो उन्हें कोई भी जवाब नहीं मिला। जिसके बाद प्रदीप ने अपने हिसाब से जवाब लेने के लिए आरटीआई डाल दी थी।
आरटीआई ने जवाब में बताया कि लैंड यूज़ बोर्ड 2008 में ही बंद कर दिया जा चुका था। बताते चलें कि प्रदीप ने अपनी आखिरी ड्यूटी OCD (Officer On Special Duty) के रूप में की थी। प्रदीप ने अपने साथ हुई सभी ज़्यादतियों के खिलाफ Central Administrative Tribunal में दस्तक दे दी है। प्रदीप के पूरे मामले का फैसला 8 मार्च को सुनाया जाएगा। प्रदीप ने कहा है कि वे सरकार की सभी ज़्यादतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे। देश में एक बड़ा तबका ऐसा भी आ खड़ा हुआ है जो प्रदीप के समर्थन में आवाज़ उठा रहा है।
Published on:
05 Mar 2018 05:21 pm
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