अगर चीन से युद्ध हुआ तो भारत हर मोर्चे पर तैयार, जानिए
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तनाव देखते हुए सेना को 40,000 करोड़ रुपए तक का साजोसामान सीधे खरीदने का अधिकार दे दिया है। इससे सेना को छोटी अवधि के युद्ध के लिए रक्षा खरीद समिति की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी ।
नई दिल्ली: सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण है। पिछले दिनों पूर्व रक्षामंत्री और सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह ने भी लोकसभा में कहा था कि चीन भारत पर हमले की तैयारी में है। इधर भारत चीन के हमले को करारा जवाब देने के लिए हर मोर्चे पर तैयार है।
40,000 करोड़ की सीधे रक्षा खरीद
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तनाव देखते हुए सेना को 40,000 करोड़ रुपए तक का साजोसामान सीधे खरीदने का अधिकार दे दिया है। इससे सेना को छोटी अवधि के युद्ध के लिए रक्षा खरीद समिति की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी और उसे जरूरी साधनों को कम समय में जुटाने में सहूलियत होगी।
दक्षिण भारत से चीन पर सीधे परमाणु हमले में सक्षम
भारत एक ऐसी मिसाइल विकसित कर रहा है जिससे वह अपने दक्षिणी हिस्से से चीन में कहीं पर भी परमाणु हमला करने में सक्षम हो जाएगा। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत के पास 150-200 परमाणु बम बनाने के लिए प्लूटोनियम मौजूद है।
2,000 किमी तक परंपरागत या परमाणु हथियार ले जा सकने वाली अग्नि-2 मिसाइल चीन के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी हिस्से जबकि अग्नि-4 पूरे चीन को निशाना बनाने में सक्षम होगी। भारत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल जैसी अग्नि-5 का विकास भी कर रहा है जो 5,000 किमी तक परमाणु हथियार ले जा सकेगी।
प्लान 73 से घबराया चीन
भारत सरकार अब चीन सीमा के आसपास 73 सडक़ें बनवाने जा रही है। रक्षा मंत्रालय के खर्च से 46 सडक़ों का निर्माण कराया जाएगा। वहीं 27 सडक़ों का निर्माण गृह मंत्रालय कराएगा। 30 सडक़ों का निर्माण तकरीबन पूरा भी हो चुका है। पहले भारत की रणनीति थी कि अगर बॉर्डर इलाके वीरान होंगे तो युद्ध जैसे हालात बनने पर चीनी सेना को भारतीय सीमा में घुसने में मुश्किलें होंगी। वहीं चीन ठीक इससे उलट बॉर्डर इलाकों में जानबूझकर सडक़ें बनवाता रहा। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने बीते मंगलवार को लोकसभा में इस बात की जानकारी दी थी।
चीन बॉर्डर के पास भारत ने तैनात किए 100 टैंक
चीन की भारतीय सीमा में घुसपैठ के खतरे से निपटने के लिए इंडियन आर्मी ने लद्दाख बॉर्डर पर 100 टैंकों की तैनाती की है। अभी और टैंक यहां लाए जाने हैं। माइनस 45 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में ये टैंक स्पेशल फ्यूल से चलेंगे। लद्दाख में टीपू सुल्तान, महाराणा प्रताप और औरंगजेब जैसी टैंक रेजिमेंट की करीब 6 महीने पहले ही तैनाती की जा चुकी है। इससे पहले, भारत ने 1962 की जंग के दौरान प्लेन से 5 टैंक उतारे थे। जब तक ये टैंक पहुंचे थे, तब तक भारत की हार हो चुकी थी।
न्यू माउंटेन डिवीजन भी
सेना ने हाल ही में देश के पूर्वी हिस्सों की सीमाओं पर चौकसी बरतने के लिए 72 इंफैन्ट्री डिवीजन का गठन किया है। इससे पहले सेना ने 2014 में 17वीं माउंटेन स्ट्राइक कॉप्र्स का गठन किया था।
अरुणाचल में भी 90, 274 सैनिक तैयार
सेना बेहद संवेदनशील माने जाने वाले लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक सीमाओं पर तैनात 90,274 सैनिकों को गोला-बारूद, वायुसेना, इंजीनियरिंग ब्रिगेड से लैस करेगी। 2021 तक पूरा होने वाले इस प्रोजेक्ट पर 64,678 करोड़ खर्च आएगा।