17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चक्रवात में तब्दील हो रहे तूफान, तो बाढ़ का प्रकोप झेल रहे सूखा प्रभावित क्षेत्र

Highlights. - जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव संबंधित देश की अर्थव्यवस्था पर हो रहा - जलवायु परिवर्तन के हिसाब से भारत विश्व का पांचवां सबसे संवेदनशील देश - क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत को सबसे अधिक खतरा है  

2 min read
Google source verification

image

Ashutosh Pathak

Dec 20, 2020

climate_change.jpg

नई दिल्ली।

जलवायु परिवर्तन के हिसाब से भारत विश्व का पांचवां सबसे संवेदनशील देश है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। 2018 में एचएसबीसी ने दुनिया की 67 अर्थव्यवस्थाओं पर जलवायु परिवर्तन के खतरे का आकलन किया, जिसमें कहा गया कि क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत को सबसे अधिक खतरा है।

अब काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायर्नमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) द्वारा किए शोध से पता चला है कि देश में 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों में देश के करीब 63.8 करोड़ लोग बसते हैं। रिपोर्ट में हैरान कर देने वाली बात सामने आई है कि पहले जिन जिलों में बाढ़ आती थी, अब वहां सूखा पड़ रहा है। इसी तरह जो जिले पहले सूखा ग्रस्त थे अब वो बाढ़ की समस्या से त्रस्त हैं।

शोध में पिछले 50 सालों (1970-2019) में भारत में बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसमीय आपदाओं के विश्लेषण किया है। आपदाओं के पैटर्न के साथ-साथ कितनी बार ये आपदाएं आई हैं, यह भी देखा गया और उनके प्रभावों का अध्ययन किया गया।

दुनियाभर में 4.95 लाख की मौत
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में तूफान (स्टॉर्म), चक्रवात (साइ लोन) का रूप ले रहे हैं। जलवायु जोखिम सूचकांक, 2018 (जर्मनी) ने जलवायु संवेदनशीलता में भारत को पांचवें स्थान पर रखा है। 1999-2018 में जलवायु परिवर्तन से दुनिया में 4.95 लाख जानें गईं, वहीं करीब 3.54 ट्रिलियन यूएस डॉलर की क्षति हुई।

2005 से बाढ़ अधिक
वर्ष 2005 के बाद से 55 से भी ज्यादा जिलों में बाढ़ आई। करीब 9.75 करोड़ लोग प्रभावित। 2010-19 में असम के 6 जिलां सहित 8 जिले सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित रहे। 24 जिलों पर चक्रवातों की मार पड़ी, करीब 4.25 करोड़ प्रभावित।

तट रेखा पर असर
देश में पूरी तट रेखा के आसपास चक्रवातों का सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जिसके लिए जलवायु परिवर्तन, भूमि उपयोग में बदलाव और वनों का विनाश जिम्मेदार है।