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सारे साइड इफेक्ट सरदर्द की गोली के भी बता दें तो लोग परेशान हो जाएं- डॉ. रमन गंगाखेड़कर

Highlights. - वैक्सीन मंजूरी से पहले कई तथ्यों और आंकड़ों पर गौर किया जाता है - सवाल पूछने वालों की नीयत गलत बताना ठीक नहीं, समय पर उनके जवाब दिए जाएं  

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Ashutosh Pathak

Jan 07, 2021

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नई दिल्ली.

देश के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ और कोरोना वायरस की चुनौती के दौरान आइसीएमआर के महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख रहे डॉ. रमन गंगाखेड़कर से पत्रिका के मुकेश केजरीवाल की बातचीत

प्रश्न- क्या कोवैक्सीन को मंजूरी देने में जल्दबाजी की गई है?

यह सवाल तो अमेरिका और ब्रिटेन में मिली मंजूरी पर भी उठाए जा सकते हैं। लेकिन किसी भी देश का नियामक ऐसी मंजूरी देते समय बहुत से आंकड़ों पर गौर करता है। उसके सामने बहुत से तथ्य हैं जो हमारे सामने नहीं है। यह असामान्य परिस्थिति है। इससे पहले भी हमने डेलामिनेड और बेडाक्विलिन दवाओं का उपयोग हमने ट्रायल के पूरा होने से पहले ही शुरू किया। क्योंकि देखना होता है कि इनका इस्तेमाल करने में कितनी खतरा है और नहीं करने पर कितना।

प्रश्न- जनता को इसके प्रभाव और साइड इफेक्ट आदि के बारे में पता तो होना चाहिए?

सरदर्द की जो साधारण गोली लोग आम तौर पर ले लेते हैं, अगर कोई उसके साइड इफेक्ट के बारे में आम लोगों को बताने लगे तो लोगों में भारी खौफ पैदा हो जाएगा। लेकिन उस जानकारी को सही तरीके से और सही माध्यम से साझा भी करना होता है। हमारे रेगुलेटर को अच्छी तरह पता है कि जल्दबाजी में मंजूरी दी और लोगों को नुकसान हुआ तो उनकी कितनी बदनामी होगी।

प्रश्न- तो क्या इस पर सवाल उठाना गलत है?

नहीं-नहीं। मुझे नहीं लगता कि सवाल उठाने वालों की मंशा गलत है या फिर उनका सवाल उठना गलत है। इन सवालों का जवाब भी दिया जाना चाहिए। कोई व्यक्ति टीवी खरीदने दुकान पर आता है और सवाल पूछता है तो उसे समझाना होगा। उसके फंक्शन समझाने होंगे। लोगों को उपयोग से पहले इन बातों के बारे में बताया ही जाएगा। सवाल आ रहे हैं तो उनकी नीयत को गलत बताना ठीक नहीं है। समय आते ही उनका जवाब दें।

प्रश्न- सवालों के पीछे मंशा क्या हो सकती है?

इससे पहले जो टीके बने हैं, उनमें कभी इतनी जल्दी काम नहीं हुआ। ऐसी आवश्यकता भी नहीं रही। एक साल के अंदर टीका बना कर उपयोग के लिए लाया जा रहा है तो लोगों के मन में संदेह तो स्वाभाविक होगा। एक्सपर्ट्स भी उसे संदेह और सवाल के नजरिए से देखेंगे। इसका बुरा मानने की जरूरत नहीं। उसका समाधान देने की जरूरत है।