इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, मनीषा ने कहा कि वह नौकरी पाकर धन्य महसूस कर रही है।
उन्होंने कहा कि हमें अभिविन्यास प्रदान किया गया और एक महीने बाद नौकरी दे दी गई। हमें अनुबंध के आधार पर काम पर रखा जाता है लेकिन हमारे काम को देखते हुए हमारे संस्थान के निदेशक ने हमारी नौकरी जारी रखने के लिए कहा है। हमें यह मौका देने के लिए मैं उनकी शुक्रगुजार हूं। मैं जो करती हूं उससे बहुत खुश हूं। संस्थान के अन्य कर्मचारी हमें अपने समान ही समझते हैं और अलग नजर से नहीं देखते
मनीषा ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है और पहले दस साल से अधिक समय से एक सरकारी अस्पताल में पर्यवेक्षक के रूप में काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पहचान पत्र नहीं होने के कारण वे किसी भी सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। मनीषा के मुताबिक उनके समुदाय के कुल 42 सदस्यों ने यहां आवेदन किया था और उनमें में से दो का चयन हुआ है।
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मनीषा ने बताया कि मैंने पर्यवेक्षक, वार्ड-बॉय और हाउस-कीपर के रूप में काम किया है। यहां तक कि प्लंबिंग का काम भी किया है। मैं इस कलंक को तोड़ने के लिए कोई भी काम करने के लिए तैयार थी। मुझे शुरू में एक सुरक्षाकर्मी के रूप में काम पर रखा गया था, लेकिन बाद में कॉल को संभालने के लिए प्रभारी बनाया गया था।वैष्णवी का भी कहना है कि वह अपने काम से बहुत संतुष्ट हैं। वैष्णवी ने कहा कि भगवान की कृपा से, मुझे यह काम मिला है। हम बिना किसी शिकायत के वार्ड को साफ रखेंगे। लोग हमें भगा देते थे, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। जब मरीज हमें देखते हैं तो खुश होते हैं।
ट्रांसजेंडरों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की अनूठी पहल
पहले संशय था पर अब विश्वास हैआईएमएच की निदेशक डॉ चंद्रिका ने कहा कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि ट्रांसजेंडर सदस्यों को आउट पेशेंट वार्ड में नियोजित किया जाए ताकि उन्हें जनता के साथ बातचीत करने का अवसर मिले।
IMH निदेशक ने आगे कहा कि वह शुरू में आशंकित थीं कि यह कैसे होगा और साथी स्वास्थ्य कर्मचारी उनसे अच्छी तरह से बर्ताव करेंगे या नहीं। लेकिन दो महीने हो गए हैं और मैंने उनके बारे में केवल अच्छी बातें ही सुनी हैं।