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IMH Employees Trangenders: चेन्नई की मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में दो ट्रांसजेंडर्स को मिली नौकरी, जानिए क्या है उनकी कहानी

IMH Employees Trangenders: चेन्नई की मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ने दो ट्रांसजेंडर्स को नौकरी पर रखा है। जिनके संघर्ष की कहानी भी दिलचस्प है।

Aug 04, 2021 / 05:57 pm

Ronak Bhaira

IMH of chennai gave the jobs two transgenders

चेन्नई की मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ने दो ट्रांसजेंडर्स को नौकरी देते हुए समाज में मिसाल पेश की है

नई दिल्ली। समावेश की ओर बढ़ते हुए कदम एक खुले समाज का परिचायक होते हैं। किसी समय में ट्रांसजेंडर्स (Transgenders) को समाज का हिस्सा भी नहीं माना जाता था लेकिन आज परिस्थितियों में बदलाव आया है।
चेन्नई के किलपौक में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (IMH) ने पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को अपने यहां काम पर रखा है। 28 वर्षीय मनीषा को संस्थान में एक टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी पर रखा गया है, जबकि 26 वर्षीय वैष्णवी को हाउसकीपिंग वर्कर के रूप में नियुक्त किया गया है।
दोनों ने नौकरी के लिए आईएमएच की निदेशक डॉ पूर्ण चंद्रिका से संपर्क किया था और ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र प्राप्त करने के लिए संस्थान जाने पर उन्हें प्रस्ताव दिया गया था।
दोनों संविदा के आधार पर स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत हैं। वे चेपॉक-ट्रिप्लिकेन निर्वाचन क्षेत्र में स्थित ट्रांसजेंडर्स सोशल वेलफेयर ट्रस्ट का हिस्सा हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, मनीषा ने कहा कि वह नौकरी पाकर धन्य महसूस कर रही है।
उन्होंने कहा कि हमें अभिविन्यास प्रदान किया गया और एक महीने बाद नौकरी दे दी गई। हमें अनुबंध के आधार पर काम पर रखा जाता है लेकिन हमारे काम को देखते हुए हमारे संस्थान के निदेशक ने हमारी नौकरी जारी रखने के लिए कहा है। हमें यह मौका देने के लिए मैं उनकी शुक्रगुजार हूं। मैं जो करती हूं उससे बहुत खुश हूं। संस्थान के अन्य कर्मचारी हमें अपने समान ही समझते हैं और अलग नजर से नहीं देखते
दसवीं तक पढ़ी हैं मनीषा
मनीषा ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है और पहले दस साल से अधिक समय से एक सरकारी अस्पताल में पर्यवेक्षक के रूप में काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पहचान पत्र नहीं होने के कारण वे किसी भी सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। मनीषा के मुताबिक उनके समुदाय के कुल 42 सदस्यों ने यहां आवेदन किया था और उनमें में से दो का चयन हुआ है।
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मनीषा ने बताया कि मैंने पर्यवेक्षक, वार्ड-बॉय और हाउस-कीपर के रूप में काम किया है। यहां तक कि प्लंबिंग का काम भी किया है। मैं इस कलंक को तोड़ने के लिए कोई भी काम करने के लिए तैयार थी। मुझे शुरू में एक सुरक्षाकर्मी के रूप में काम पर रखा गया था, लेकिन बाद में कॉल को संभालने के लिए प्रभारी बनाया गया था।
वैष्णवी ने कहा मरीज हमें देखकर खुश होते हैं
वैष्णवी का भी कहना है कि वह अपने काम से बहुत संतुष्ट हैं। वैष्णवी ने कहा कि भगवान की कृपा से, मुझे यह काम मिला है। हम बिना किसी शिकायत के वार्ड को साफ रखेंगे। लोग हमें भगा देते थे, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। जब मरीज हमें देखते हैं तो खुश होते हैं।
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पहले संशय था पर अब विश्वास है
आईएमएच की निदेशक डॉ चंद्रिका ने कहा कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि ट्रांसजेंडर सदस्यों को आउट पेशेंट वार्ड में नियोजित किया जाए ताकि उन्हें जनता के साथ बातचीत करने का अवसर मिले।
IMH निदेशक ने आगे कहा कि वह शुरू में आशंकित थीं कि यह कैसे होगा और साथी स्वास्थ्य कर्मचारी उनसे अच्छी तरह से बर्ताव करेंगे या नहीं। लेकिन दो महीने हो गए हैं और मैंने उनके बारे में केवल अच्छी बातें ही सुनी हैं।

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