
इंडिपेंडेंस डे स्पेशल: इस पवित्र धाम में मौजूद है भगत सिंह- राजगुरु की फांसी का सबूत, हर पन्ने पर है लाहौर हाईकोर्ट की मुहर
नई दिल्ली। बुधवार यानी 15 अगस्त, 2018 को भारत वर्ष अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी से लेकर अब तक इस देश ने कई बदलाव और उतार-चढ़ाव देखे हैं। वहीं, इस आजादी के लिए कई लोगों ने अपनी जान तक की कुर्बानी दी है। जिनकी शहादत को याद कर हमारी आंखें आज भी नम हो जाती है। इनमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की कुर्बानी को भूले से भी नहीं भूला जा सकता है। इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम आपको इनके बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे।
हरिद्वार में मौजूद है तीनों की फांसी का सबूत
ये तो हम सब जानते हैं कि आजादी के नायक सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई है। लेकिन, क्या आप जानते हैं इस कार्यवाही के सारे सबूत कहां मौजूद हैं। आप में से ज्यादातर लोगों का जवाब होगा नहीं। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इनकी फांसी का सबूत कहां रखा है। इन तीनों की फांसी का सबूत उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद है। जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ट्रायल की इस कॉपी में मुकदमा शुरू होने से आरोप तय होने तक की पूरी कार्यवाही 1659 पृष्ठों पर दर्ज है। हालांकि, संग्रहालय के अधिकरियों का कहना है कि भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाए जाने वाला कोर्ट ट्रायल का हिस्सा गुरुकुल को नहीं दिया गया है।
ज्यादातर कार्यवाही उर्दू भाषा में दर्ज
कोर्ट ट्रायल की प्रति में जजों के नामों का जिक्र आया है। जानकारी के मुताबिक, जज जीसी हिल्टन अधिकतर सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। उनके साथ अन्य जज के तौर पर कभी आगा हैदर, तो कभी अब्दुल कादिर बदलते रहे। अधिकतर कार्यवाही उर्दू भाषा में दर्ज की गई। कहीं-कहीं अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग भी किया गया है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की ओर से साल 2009 में लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट ट्रायल की सत्यापित प्रतिलिपि की मांग की गई थी। लाहौर हाईकोर्ट ने 31 अगस्त 2009 को सत्यापित प्रतिलिपि विश्वविद्यालय को भेजी थी। कॉपी के हर पन्ने पर लाहौर हाईकोर्ट की मुहर लगी हुई है।
Published on:
14 Aug 2018 02:54 pm
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