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भारत भी पहुंच चुका है कोरोना का साऊथ अफ्रीका वाला स्टे्रेन, जानिए कितना है खतरनाक, क्या हैं लक्षण

Highlights. - आईसीएमआर के अनुसार साऊथ अफ्रीका के म्यूटेंट स्ट्रेन के ये चारों पीडि़त केस गत माह जनवरी में भारत आए थे- इन चार पीडि़त केस में भी शुरुआत में बुखार, खांसी और स्वाद और गंध की शक्ति कमजोर होना प्रमुख लक्षण थे - साऊथ अफ्रीका के स्ट्रेन ने युवाओं को ज्यादा शिकार बनाया, जो युवा पहले से किसी से रोग से पीडि़त नहीं है, उन्हें इसका खतरा अधिक है  

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Ashutosh Pathak

Feb 18, 2021

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नई दिल्ली।

कोरोना का नया वैरिएंट साऊथ अफ्रीकी स्ट्रेन भारत में भी आ चुका है। अब तक इसके चार केस सामने आए हैं। दूसरी ओर आईसीएमआर की मानें तो साऊथ अफ्रीका के म्यूटेंट स्ट्रेन के ये चारों पीडि़त केस गत माह जनवरी में साऊथ अफ्रीका से भारत आए थे। कांटेक्ट ट्रेसिंग के बाद इन्हें क्वारंटीन किया गया।

विशेषज्ञों की मानें तो इन चार केस में भी शुरुआत में बुखार, खांसी और स्वाद और गंध की शक्ति कमजोर होना प्रमुख लक्षण थे। हालांकि, इन पर नजर रखी जा रही है और जरूरी जांचों के जरिए दूसरे अध्ययन भी हो रहे हैं। हम आपको बताते हैं कि कोरोना का साऊथ अफ्रीकी स्ट्रेन क्या बला है और देश में मौजूदा वक्त में चल रहे वैक्सिनेशन कैंपेन के बीच इसके मिलने का कोई असर होगा या नही।

ब्रिटेन की तरह तेजी से फैलता है
दरअसल, कोई भी वायरस सामान्यत: म्यूटेट करता रहता है। म्यूटेशन की वजह से ही उनके दूसरे वैरिएंट या स्ट्रेन सामने आते रहते हैं। ब्रिटेन के बाद साऊथ अफ्रीका का स्ट्रेन भारत में आमद करा चुका है। साऊथ अफ्रीका में मिला कोविड का नया स्ट्रेन गत वर्ष दिसंबर में सामने आया। यह स्टे्रेन भी ब्रिटेन की तरह तेजी से फैलता है। ब्रिटेन में मिले स्टे्रन के केस भी भारत में मिल चुके हैं, मगर साऊथ अफ्रीका के स्ट्रेन ने युवाओं को अब तक ज्यादा अपना शिकार बनाया है। साऊथ अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री भी कह चुके हैं कि जो युवा पहले से किसी रोग से ग्रसित नहीं हैं, उन्हें यह स्ट्रेन ज्यादा टारगेट कर रहा है। हालांकि, अभी तक मिले केस में ऐसे कोई लक्षण सामने नहीं आए कि यह पहले से ज्यादा घातक है।

वैक्सिनेशन कैंपेन पर कितना असर
भारत में वैक्सिनेशन कैंपेन चल रहा है। यहां कोविशील्ड और कोवैक्सीन का टीका दिया जा रहा है। भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन कोवैक्सीन को ब्रिटेेन के स्ट्रेन पर असरदार बताया है। हालांकि, साऊथ अफ्रीका वाले केस पर अभी इसकी जांच नहीं हुई है। वहीं, साऊथ अफ्रीका की सरकार ने दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका और आक्सफोर्ड की वैक्सीन उनके देश में मिले स्ट्रन पर सीमित रूप से असरदार है। बता दें कि यही वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से भारत में टीकाकरण अभियान में दी जा रही है। इसलिए साऊथ अफ्रीकी स्ट्रेन से भारत को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि इसे रोकने के लिए पहले से दी जा रही वैक्सीन भी असरकारक होगी।


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