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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिखा असर, देश की पहली ट्रांसजेंडर अफसर कर रही हैं शादी

ऐश्वर्या कहती हैं कि अगर कानून ने इजाजत दी तो वो शादी के बाद एक लड़की को भी गोद लेना चाहेंगी।

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Kapil Tiwari

Sep 09, 2018

Aishwarya-Rutuparna-Pradhan

Aishwarya Rutuparna Pradhan first indian transgender civil servant

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत ने हाल ही में धारा 377 को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। कोर्ट के इस फैसले का अब असर दिखना शुरू हो गया है। दरअसल, कोर्ट के फैसले के बाद ओडिशा की पहली और एक मात्र ट्रांसजेंडर सरकारी अफसर ऐश्वर्या रितुपर्णा प्रधान शादी करने जा रही हैं। आपको बता दें कि वो एक ट्रांसजेंडर से ही शादी करने जा रही हैं। इतना ही नहीं उनका कहना है कि अगर कानून इजाजत देता है तो वो शादी के बाद एक लड़की को भी गोद लेना चाहेंगी। वो बीते 2 साल से अपने पार्टनर के साथ लिव-इन में रह रहीं थीं। देश के अंदर ये पहला मामला होगा, जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई ट्रांसजेंडर शादी के बंधन में बंधने जा रही है। इस खबर को सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर माना जा रहा है।

कोर्ट के फैसले के बाद खुद को आजाद महसूस कर रही हूं- ऐश्वर्या

आपको बता दें कि ऐश्वर्या रितपर्णा ओडिशा फाइनेंस सर्विस (ओएफएस) अफसर हैं। फिलहाल वह पारद्वीप पोर्ट टाउन में वाणिज्यिक कर अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर उनका कहना है कि वो अब खुद को आजाद महसूस कर रही हैं। ऐश्वर्या रितुपर्णा ने कहा है कि काफी लंबे समय से अपने दोस्त के साथ लिव इन रिलेशनशिप है। सुप्रीम कोर्ट की इस ऐतिहासिक राय के बाद मेरी अंतरआत्मा जो पाना चाहती थी, वह अब पूरा होगा।

तीन साल पहले कराया था 'लिंग' परिवर्तन

ऐश्वर्या ने अपनी जिंदगी के बारे में बताया है। वो पहले रतिकांत प्रधान नाम से जानी जाती थी। 15 अक्टूबर वर्ष 2015 को उन्होंने 'लिंग' परिवर्तन कराया था, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम ऐश्वर्या रितुपर्णा रख लिया। 2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर को बाकायदा पहचान दी, तब उन्होंने अपने आपको पुरुष से थर्ड जेंडर के रूप में दिखाया। इसके बाद ओडिशा सरकार ने बाकायदा नोटिफिकेशन जारी कर उनकी पहचान को मान्यता दी।

स्कूल-कॉलेज में खूब उड़ाया जाता था मजाक

ऐश्वर्या ने बताया कि, बचपन में मैने बहुत मुश्किलों का सामना किया है। मुझे स्कूल में बच्चे तो चिढ़ाते ही थे, मेरे अपने पिता भी मेरा बहुत मजाक उड़ाया करते थे। उनका कहना है कि जब मैं पढ़ती थी, तो मुझ पर मेरे साथी ही भद्दे मजाक बनाते थे। कॉलेज के दिनों में मेरे साथी मेरे कपड़े उतार देते थे ताकि वह मेरी जेंडर आइडेंटिटी जान सकें। यूनिवर्सिटी में भी ये सिलसिला रुका नहीं। वहां तो मुझे शारीरिक यातनाओं को भी झेलना पड़ा, लेकिन मैंने इन सबके बावजूद अपनी पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ा।