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1965 में चीन के खिलाफ भारत ने मांगी थी अमरीकी मदद: रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के प्रधान सचिव एलके झा ने दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास में यह अपील की थी

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Shakti Singh

Aug 25, 2015

lal bahadur shastri

lal bahadur shastri

नई दिल्ली। 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान चीन से निपटने के लिए भारत ने अमरीका से गुप्त रूप से मदद करने की गुहार लगाई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के प्रधान सचिव एलके झा ने दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास में यह अपील की थी। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अमरीकी दूतावास से कहा था कि वह उसे सुरक्षा एक्सपर्ट मुहैया कराए जो भारतीय सैन्य अधिकारियों के साथ मिलकर चीनी खतरे का सामना कर सके।




अमरीकी दूतावास में की थी अपील
रिपोर्ट के अनुसार भारत ने लद्दाख की पूर्वी सीमा और चुम्बी घाटी में बटालियन स्तर की चीनी गतिविधियां देखी थी। भारत को चिंता थी कि चीन इस दौरान उस पर हमला कर सकता है और इसे देखते हुए भारत ने अमरीका से सहायता मांगी थी। इसके बाद दूतावास ने अपने विदेश मंत्रालय को टेलीग्राम भेजा था। इस टेलीग्राम को बाद में सार्वजनिक किया गया था।



चीन को लेकर चिंतित था अमरीका
दूतावास ने अपने टेलीग्राम में झा के अनुरोध के पक्ष में निर्णय लेने की सिफारिश की थी लेकिन मंत्रालय ने दूतावास को निर्देश दिया कि उच्च स्तर पर लिया जाने वाला फैसला किसी तरह के कमिटमेंट से बचने वाला होगा। दूतावास को कहा गया कि वह भारत सरकार को कहे कि अमरीका का वियतनाम में कमिटमेंट बड़ा और बढ़ा हुआ है। हालांकि अमरीका भी भारत के खिलाफ पाकिस्तान के समर्थन में चीन द्वारा हमला करने की संभावना से चिंतित था।



मौखिक रूप से की थी अपील
इंग्लैण्ड में भारतीय उच्चायुक्त बीके नेहरू ने भी चीन और इंडोनेशिया के खतरे को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन के सामने भारत की चिंता रखी थी। उन्होेंने जॉनसन को प्रधानमंत्री शास्त्री की लिखी एक चिट्ठी दी और कहा था कि भारत को लगता कि पाकिस्तान-चीन-इंडोनेशिया मिलकर उसके खिलाफ हमला कर सकते हैं। इस पर अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा था कि इस बात से हम भी चिंतित हैं। गौरतलब है कि चीन को लेकर 1965 अमरीका से भारत की अपील मौखिक थी जबकि 1962 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मदद के लिए अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को पत्र लिखा था।

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