
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अपने प्रस्तावित रूसी दौरे के दौरान रक्षा से जुड़ी एक बड़े सौदे को अंतिम रूप दे सकती हैं। यह सौदा एस-400 ट्रायम्फ प्रक्षेपास्त्र प्रणाली से जुड़ा है। लंबे समय से लटके लगभग 40 हजार करोड़ रुपए के इस सौदे कोक रक्षामंत्री निपटाने का प्रयास कर सकती हैं। बता दें कि रक्षामंत्री आने वाले कुछ दिनों में मास्को दौरे परजा सकती हैं।
400 किलोमीटर तक मारक क्षमता
दरअसल, एस-400 ट्रायम्फ प्रक्षेपास्त्र हवा में 400 किलोमीटर तक अपने लक्ष्यों को नेस्तानाबूद कर सकता है। भारत के इस प्रणाली के खरीद के पीछे चीन की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर चौकसी बढ़ाना है। बता दें कि 3 साल पहले ही इस प्रणानी के सौदे को अंजाम दे चुका है। रूस ने एस-400 ट्रिउम्फ वायु रक्षा मिसाइल की चीन को आपूर्ति शुरू कर दी है, लेकिन भारत को मल्टी बैरल सिस्टम के 40 से 400 किमी के रेंज वाली मिसाइल को बेचने के लिए चल रही बातचीत उन्नत चरण में है और इसमें कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। एक शीर्ष रूसी अधिकारी ने यह जानकारी दी। रोस्टेक कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सर्गेई चेमेजोव ने आईएएनएस को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि अनुबंध के लिए 'जल्दबाजी' नहीं है, बल्कि दोनों पक्षों को बातचीत करने के लिए समय देना महत्वपूर्ण है। रोस्टेक कॉरपोरेशन का गठन करीब एक दशक पहले रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कंपनियों को मजबूत करने के लिए बनाया गया था।
अंतिम चरण में वार्ता
चेमेजोव ने सौदे के बारे में कहा था कि अनुबंध के लिए चर्चा उन्नत चरण में है। वर्तमान में अनुबंध के तकनीकी विवरणों पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि रणनीतिक उद्देश्यों के लिए सबसे ज्यादा आधुनिक उपकरण की आपूर्ति के लिए करीब 39,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। चेमेजोव ने कहा कि इस परियोजना के अंतर-सरकारी समझौते पर गोवा में एक साल पहले हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने बताया कि इन चीजों में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि दोनों पक्षों को बातचीत के लिए समय दिया जाना चाहिए। इस सौदे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अक्टूबर 2016 में भारत के दौरे के समय हस्ताक्षर हुए थे। इस सौदे को अंतिम रूप देने से पहले बातचीत तकनीकी हस्तांतरण, अंतिम मूल्य व कर्मियों के प्रशिक्षण जैसे कारकों पर की जा रही है।
अगले साल तक शुरू हो जाएगी सप्लाई
भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, अनुबंध को अंतिम रूप दिए जाने के दो साल बाद मिसाइल प्रणाली की डिलिवरी शुरू हो जाएगी। भारत की शुरुआत में कम से कम 12एस-400 प्रणाली खरीदने की योजना थी, लेकिन इसे कम करके पांच कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार भारत डिलिवरी में तेजी लाने के लिए ऑफसेट क्लॉज में बदलाव लाने को तैयार है। इस क्लॉज के तहत अनुबंध मूल्य का 30 फीसदी देश में फिर से निवेश करने की जरूरत होती है। चेमेजोव ने बताया कि यह कई तकनीकी विशिष्टताओं व मूल्यों शर्तो, उत्पादन व वितरण कार्यक्रमों के साथ बहुत जटिल अनुबंध है। हर चीज को सावधानी से समन्वित किया जाना चाहिए।
Published on:
05 Mar 2018 09:10 am
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