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केबल नहीं, सीधे सेटेलाइट से मिलेगा इंटरनेट, स्पेस एक्स के साथ-साथ कई और खिलाड़ी मैदान में तैयार

Highlights. - बिलों का भुगतान, यात्रा, किराने का सामान, भोजन, टेक्सटिंग और भी बहुत कुछ इंटरनेट पर निर्भर - देश में कई इलाके, जहां इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है, इस कमी को पूरा करने के लिए अब सैटेलाइट इंटरनेट - यह टेलिकॉम कंपनियों की सबसे बड़ी मुश्किल भी है, क्योंकि हर इलाके में केबल को बिछाना संभव नहीं होता  

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Ashutosh Pathak

Dec 15, 2020

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नई दिल्ली.

इंटरनेट के माध्यम से कनेक्टिविटी अब एक ‘विकल्प’ नहीं बल्कि सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। बिलों का भुगतान, यात्रा, किराने का सामान, भोजन, टेक्सटिंग और भी बहुत कुछ इंटरनेट पर निर्भर है। जरूरत बढ़ी है तो उसको भरोसेमंद बनाने का कोशिशें भी शुरू हो गई हैं।

आज भी देश में कई इलाके हैं, जहां पर इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है। इसी कमी को पूरा करने के लिए अब सैटेलाइट इंटरनेट। जिसके जरिए सुदूर इलाकों से लेकर पहाड़ों और घाटियों में भी इंटरनेट उपलब्ध हो सकेगा। सबसे महत्वपूर्ण यह भी है कि इसके लिए किसी केबल की जरूरत नहीं होगी। यह टेलिकॉम कंपनियों की सबसे बड़ी मुश्किल भी है, क्योंकि हर इलाके में केबल को बिछाना संभव नहीं होता है।

क्या है सैटेलाइट इंटरनेट
सरल शब्दों में सैटेलाइट इंटरनेट का अर्थ है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता (आइएसपी) अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट को डेटा सिग्नल भेजता है। फिर यह आपके घर या किसी अन्य रिसेप्टर में एक डिश पर वापस बाउंस करता है। परंपरागत रूप से केबल की सहायता से इंटरनेट प्रदान किया जाता है। लेकिन सैटेलाइट इंटरनेट में केबल की आवश्यकता नहीं रहेगी। ऐसे में आप हमेशा ऑनलाइन रहने के लिए सैटेलाइट इंटरनेट पर भरोसा कर सकते हैं।

सैटेलाइट इंटरनेट के बड़े खिलाड़ी
स्पेसएक्स: एलन मस्क की कंपनी ने 4400 उपग्रहों के जरिए अमरीका और कनाडा में स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस देना शुरू कर दिया है।

अमेजन: ई-कॉमर्स कंपनी को अमरीकी सरकार से 3,200 से अधिक उपग्रह कक्षा में छोडऩे की अनुमति मिल गई है। अमेजन इस पहल पर 10 अरब डॉलर खर्च करेगी। कंपनी ने इसे ‘प्रोजेक्ट कुइपर’ नाम दिया है।

एयरटेल- सैटेलाइट स्टार्टअप वनवेब के जरिए 2022 से ग्लोबल स्तर पर ब्रॉडबैंड सेवाएं देना शुरू कर देगा। वनवेब की योजना 648 स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिट में भेजने की है। इसमें से अब तक 74 स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिट में भेज दिए हैं।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट
केन्द्र सरकार ने ‘भारतनेट’ परियोजना के तहत सीमा क्षेत्रों और नक्सल प्रभावित राज्यों तथा द्वीपीय क्षेत्रों की 5,000 ग्राम पंचायतों को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोडऩे के लिए ह्यूजेज कम्युनिकेशंस का चयन का किया है। इन ग्राम पंचायतों को मार्च, 2021 तक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा। ह्यूजेज कम्युनिकेशंस ने बताया कि ये 5,000 ग्राम पंचायतें पूर्वोत्तर राज्यों मसलन मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश के अलावा पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी तथा अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप में स्थित हैं। सरकार का अगस्त, 2021 तक सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को द्रुत गति की ब्रॉडबैंड सेवा से जोडऩे का लक्ष्य है।

सैटेलाइट इंटरनेट की खूबियां
- उपग्रह इंटरनेट का सबसे बड़ा फायदा एक यह है कि यह हर जगह उपलब्ध है।
- सैटेलाइट इंटरनेट केबल पर निर्भर नहीं है, ऐसे में जहां भी सिग्नल के रिसेप्टर्स हैं, वहां सैटेलाइट इंटरनेट मौजूद होगा।
- सैटेलाइट इंटरनेट की गति पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ उपग्रह इंटरनेट प्रदाताओं ने उपयोगकर्ताओं को 25 एमबीपीएस डाउनलोड गति प्रदान करना शुरू कर दिया है।
- प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में सैटेलाइट इंटरनेट वरदान साबित होगा। केबल इंटरनेट कनेक्शन के साथ ऐसा नहीं है क्योंकि, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान इंटरनेट केबल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- दूर-दराज के लोगों, ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों और दुर्गम स्थानों पर तैनात सैनिकों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट वरदान से कम नहीं होगा।

सैटेलाइट इंटरनेट की खामियां
- जो लोग हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन चाहते हैं, सैटेलाइट इंटरनेट उनके लिए थोड़ा निराशाजनक हो सकता है।
- फेयर यूज पॉलिसी की सीमाएं बहुत कठोर हैं।
- सैटेलाइट इंटरनेट केबल इंटरनेट की तुलना में अधिक महंगा है।
- इंटरनेट कनेक्शन धीमा होने के कारण केवल बुनियादी चीजें इसके माध्यम से की जा सकती हैं।
- ऑनलाइन गेमिंग और 4जी स्ट्रीमिंग अभी भी दूर की कौड़ी है।
- सैटेलाइट इंटरनेट वर्चुअल प्राइवेट नेटवक्र्स (वीपीएन) को सपोर्ट नहीं करता है।