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INX मीडिया केसः तिहाड़ जेल में पी चिदंबरम को मिलेंगी विशेष सुविधाएं

चिदंबरम ने मांगी तिहाड़ जेल में अतिरिक्त सुरक्षा और स्पेशल सेल अदालत ने उनकी अर्जी पर दे दी अनुमति अब 12 सितंबर को होगी ईडी के सामने सरेंडर करने के मामले में सुनवाई

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Amit Kumar Bajpai

Sep 05, 2019

INX media case: राजनीतिक प्रतिशोध व बदले की भावना से हुई चिदंबरम की गिरफ्तारी: स्टालिन

INX media case: राजनीतिक प्रतिशोध व बदले की भावना से हुई चिदंबरम की गिरफ्तारी: स्टालिन

नई दिल्ली। राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृहस्पतिवार को पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजने का फैसला सुना दिया। इसके बाद पी चिदंबरम ने तिहाड़ में सुरक्षा मुहैया कराए जाने को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इतना ही नहीं पी चिदंबरम के वकीलों ने प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष उनके सरेंडर करने को लेकर भी एक अर्जी दाखिल की है।

दिल्ली की अदालत में दाखिल अपनी अर्जी में पी चिदंबरम ने मांग की कि न्यायिक हिरासत के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए जाएं। उन्होंने जेल प्रशासन से उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के लिए दिशा-निर्देश देने की अपील की। चिदंबरम चाहते हैं कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा के साथ अलग सेल भी उपलब्ध कराई जाए।

INX मीडिया केसः पी चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत, भेजे गए तिहाड़ जेल

इसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने पी चिदंबरम की अर्जी पर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा के साथ अलग सेल मुहैया कराए जाने की अनुमति दे दी।

इसके अलावा पी चिदंबरम के वकीलों ने अदालत में एक अर्जी दाखिल कर मांग की कि उन्हें ईडी के समक्ष सरेंडर करने की अनुमति दी जाए। इसको लेकर अदालत ने ईडी को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा है। अब पी चिदंबरम के सरेंडर करने के मामले को लेकर आगामी 12 सितंबर को सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि INX मीडिया मामले में बृहस्पतिवार को पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को लेकर राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके बाद चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुना दिया गया। अब चिदंबरम 19 सितंबर तक तिहाड़ जेल में रहेंगे।

पी चिदंबरम भेजे गए तिहाड़ जेल, एक क्लिक में जानिए क्या है INX मीडिया केस

हालांकि अदालत में सीबीआई द्वारा चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की दलील का वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विरोध भी किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।

सिब्बल ने दलील दी कि चिदंबरम को सीबीआई ने 15 दिन के लिए हिरासत में रखा, लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पेश कर सकी। उन्होंने यह भी कहा अगर चिदंबरम को सीबीआई हिरासत में नहीं लेना चाहती है, तो वह स्वयं ईडी के सामने सरेंडर कर सकते हैं, लेकिन उन्हें न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता।

जबकि इसके विरोध में मेहता ने दलील दी कि यह मामला पी चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने से संबंधित है। अदालत ही जमानत की याचिका पर फैसला लेगी। उन्होंने कहा की जब तक जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होती, अदालत में बहस की कोई जरूरत नहीं है।