
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-2 पर भारत ही नहीं, देश भर की टकटकी लगी है।
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इसरो अभी तक लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं कर पाया है। अब जबकि चंद्रयान—2 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने का आज के अलावा एक ही देश बचा है।
ऐसे में देशवासी इसरो की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। वहीं, इसरो के प्रयास के साथ ही देशवासी भी लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए दुआएं कर रहे हैं।
ऑर्बिटर
वजन- 2,379 किग्रा
इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 1,000 W
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लैंडर - विक्रम
वजन- 1,471 किग्रा
इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 650 W
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रोवर - प्रज्ञान
वजन- 27 किग्रा
इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 50 W
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जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-III (जीएसएलवी एमके- III)
GSLV Mk-III चंद्रयान 2 को अपनी निर्धारित कक्षा में ले गया यह थ्री स्टेज व्हीकल भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लांचर है, और यह 4 टन के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में लॉन्च करने में सक्षम है।
इसके घटक हैं—
S200 ठोस रॉकेट बूस्टर
L110 तरल चरण
C25 ऊपरी चरण
वहीं, विशेज्ञ की मानें तो इसरो का चंद्रयान-2 मिशन लगभग खत्म हो गया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम को जिंदा करने की उम्मीदें भी करीब-करीब छोड़ ही दी हैं।
हालांकि नासा के प्रयास ने वैज्ञानिकों की उम्मीदों को जरूर जिंदा रखा था, लेकिन नासा का सेटेलाइट लैंडर विक्रम की तस्वीरें लेने में नाकाम रहा है। जिससे इसरो को निराशा हाथ लगी है।
Updated on:
19 Sept 2019 02:35 pm
Published on:
19 Sept 2019 02:34 pm
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