18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्या खत्म हो गया इसरो का मिशन चंद्रयान-2? अब चमत्कार का इंतजार

ISRO के मिशन चंद्रयान-2 पर भारत ही नहीं, देश भर की टकटकी लगी इसरो अभी तक लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं कर पाया नासा का सेटेलाइट लैंडर विक्रम की तस्वीरें लेने में नाकाम रहा

2 min read
Google source verification

image

Mohit sharma

Sep 19, 2019

f4.png

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-2 पर भारत ही नहीं, देश भर की टकटकी लगी है।

इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इसरो अभी तक लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं कर पाया है। अब जबकि चंद्रयान—2 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने का आज के अलावा एक ही देश बचा है।

ऐसे में देशवासी इसरो की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। वहीं, इसरो के प्रयास के साथ ही देशवासी भी लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए दुआएं कर रहे हैं।

पाकिस्तान की एक और नापाक हरकत, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तोड़ा सीजफायर

एनआरआई अभिनेत्री ईशा शरवानी के साथ ठगी, पुलिस ने 3 को किया गिरफ्तार

ऑर्बिटर

वजन- 2,379 किग्रा

इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 1,000 W

...................
लैंडर - विक्रम

वजन- 1,471 किग्रा

इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 650 W
..............................

रोवर - प्रज्ञान

वजन- 27 किग्रा

इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 50 W
..............................

जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-III (जीएसएलवी एमके- III)
GSLV Mk-III चंद्रयान 2 को अपनी निर्धारित कक्षा में ले गया यह थ्री स्टेज व्हीकल भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लांचर है, और यह 4 टन के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में लॉन्च करने में सक्षम है।

इसके घटक हैं—

S200 ठोस रॉकेट बूस्टर

L110 तरल चरण

C25 ऊपरी चरण

चंद्रयान—2: इसरो पर टिकी देश की निगाहें, लैंडर विक्रम से संपर्क करने का अब घट रहा समय

वहीं, विशेज्ञ की मानें तो इसरो का चंद्रयान-2 मिशन लगभग खत्म हो गया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम को जिंदा करने की उम्मीदें भी करीब-करीब छोड़ ही दी हैं।

हालांकि नासा के प्रयास ने वैज्ञानिकों की उम्मीदों को जरूर जिंदा रखा था, लेकिन नासा का सेटेलाइट लैंडर विक्रम की तस्वीरें लेने में नाकाम रहा है। जिससे इसरो को निराशा हाथ लगी है।