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Lockdown In Bihar: क्या बिहार लौटकर आने वाले प्रवासी मजदूर हैं राज्य में corona के बढ़ने की वजह?

Bihar में कोरोना संक्रमितों (coronavirus) का आंकड़ा एक लाख के पार पहुंचा राज्य में एक बार फिर छह सितंबर तक के लिए Lockdown की घोषणा क्या राज्य में प्रवासी मजूदरों (Migrant Labourers) के कारण कोरान के केस बढ़े हैं?

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Kaushlendra Pathak

Aug 17, 2020

Is Migrant Workers Responsible For Coronavirus cases increased in Bihar

बिहार में कोरोना वायरस फैलने के लिए आखिर कौन जिम्मेदार हैं?

नई दिल्ली। भारत (coronavirus in India) में हर तरफ कोरोना वायरस का कहर है। देश का अधिकांश हिस्सा इस महामारी की चपेट में है। वहीं, कुछ राज्यों में इस वायरस के कारण स्थिति काफी भयावह हो गई है। इधर, बिहार (coronavirus in Bihar) में यह वायरस काफी तेजी से फैलता जा रहा है। आलम ये है कि राज्य में कोरोना संक्रमितों (COVID-19) का आंकड़ा एक लाख के पार पहुंच चुका है, जबिक पांच सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, ठीक होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इधर, मामले की गंभीरता को देखते हुए नीतीश सरकार (Nitish Government) ने एक बार फिर लॉकडाउन (Bihar Lockdown) की घोषणा की है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, राज्य में अगामी छह सितंबर तक लॉकडाउन (Lockdown) की मियाद रहेगी। इस दौरन जो पांबदी लगी थी, वह जारी रहेगी। लेकिन, सवाल ये है कि आखिर बिहार में कोरोना बढ़ने की वजह क्या है? क्या प्रवासी मजदूरों ( Migrant Labourers ) के कारण राज्य में कोरोना के मामले इतने बढ़े है?

सबसे पहले नजर डालते हैं बिहार में कोरोना के आंकड़े पर। राज्य में कोरोना संक्रमितों (corona Cases in Bihar) की संख्या 1,03,383 हो गई है। इनमें 31059 एक्टिव केस हैं। वहीं, 72,324 लोग इस महामारी से ठीक हो चुके हैं। जबकि, अब तक 537 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में कोरोना वायरस का पहला मामला 22 मार्च को आया था। वहीं, देश में 25 मार्च से लॉकडाउन (Lockdown in Bihar) की घोषणा हुई थी। शुरुआत में राज्यों में कोरोना वायरस (COVID-19) की रफ्तार कााफी धीमी थी। ग्रामीण इलाकों में केस न के बराबर था। वहीं, लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा होते ही प्रवासी मजदूरों (Migrant Labourers) का पलायन शुरू हो गया। शुरुआत में तो प्रवासी मजदूर पैदल, बाइक, साइकिल के जरिए ही घरों के लिए करने लगे। परिणाम ये हुआ कि उन मजदूरों की न तो चेकिंग हो सकी और ना ही टेस्ट किया गया। लिहाजा, बिना किसी जांच के काफी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य के अंदर पहुंच गए। इनमें सबसे ज्यादा दिल्ली, मुंबई, गुजरात, तमिलनाडु से मजदूर लौटे थे और उस वक्त वहां कोरोना वायरस कहर बनकर टूट चुका था।

वहीं, बाद में केन्द्र सरकार (Central Government) ने मजदूरों की वापसी के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन ( Shramik Special Train ) चलाई। इसके अलावा बसों (Bus) और ट्रकों (Truck) से भी प्रवासी मजदूरों (Migrant Labourers) की वापसी होने लगी। परिणाम ये हुआ कि जैसे-जैसे प्रवासी मजूदरों की वापसी होने लगी, कोरोना के मामले बढ़ने लगे। राज्य सरकार ने बाहर से आने वालों के लिए 14 दिनों क्वारंटाइन ( Quarantine ) अनिवार्य कर दिया। बाहर से आए लोगों की जब कोरोना जांच (corona Test) होने लगी तो केस की संख्या भी बढ़ने लगी। शुरुआत में खबर ये आई कि दिल्ली से आने वाले ज्यादातर लोग कोरोना संक्रमित हैं। इसके बाद धीरे-धीरे दूसरे राज्यों से भी कोरोना संक्रमित बिहार पहुंचने लगे। बीच में राज्य सरकार ने तो यहां तक कह दिया था कि प्रवासियों को संभालना मुश्किल हो रहा है। लिहाजा, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (Shramik Special Train) की संख्या कम करने के लिए भी कहा गया था। धीरे-धीरे टेस्ट की संख्या बढ़ी और कोरोना के मामले बढ़ने लगे। आलम ये है कि राज्य के ज्यातार इलाकों में कोरोना वायरस फैल चुका है। हालांकि, अब प्रवासी मजदूरों का पलायन बंद हो चुका है, लेकिन कोरोना का कहर लगातार जारी है। राज्य में औसतन हर दिन दो हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। कई बार यह कहा जा चुका है कि बिहार प्रवासी मजूदरों के कारण ही कोरोना वायरस इतना बढ़ा है। कहीं न कहीं एक हद तक यह सही भी है। क्योंकि, रिपोर्ट के मुताबिक, 25 से 30 लाख प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे हैं।