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इसरो ने रचा इतिहास, चांद की कक्षा में स्थापित हुआ चंद्रयान -2

Chandrayan-2 दूसरी बार सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में पहुंचा Chandrayan-1 में भी इसरो को मिली थी ऐतिहासिक सफलता 17वें दिन दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा Chandrayan-2

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chandrayan-2

बेंगलूरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) के वैज्ञानिकों ने इतिहास रचते हुए चंद्रयान 2 को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। मंगलवार सुबह 9:02 बजे चंद्रयान-2 ( Chandrayaan-2 ) को चांद की कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई।

इसके लिए यान में मौजूद तरल अपोगी मोटर (एलएएम) में 1738 सेकेंड तक फायर किया गया। चूंकि यह प्रक्रिया रेट्रो बर्न थी, इसलिए लैम फायरिंग से पहले यान को 180 डिग्री के कोण पर घुमा दिया गया था।

लगातार दूसरी बार बड़ी कामयाबी

यह लगातार दूसरा मौका है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने लूनर ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) में शत-प्रतिशत कामयाबी हासिल की है।

पहले चंद्रयान-1 ( chandrayaan-1) को भी पहले ही प्रयास में भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इस बार भी वही प्रक्रिया अपनाई गई।

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चांद की कक्षा में चक्कर काट रहा है चंद्रयान-2

सबसे बड़ी बात यह रही कि इसरो वैज्ञानिक चंद्रयान-2 ( chandrayaan-2 ) को चांद की जिस कक्षा में पहुंचाना चाहते थे उसमें उन्हें पूरी सफलता मिली। फिलहाल चंद्रयान चांद की 118 गुना 18072 किमी वाली कक्षा में चक्कर काट रहा है।

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चंद्रयान-2 चांद के 118 किमी गुणा 18078 किमी वाली कक्षा में प्रवेश के बाद 21 अगस्त को दोपहर 12.30 बजे से 1.30 बजे के बीच इसे 121 गुणा 4303 किमी वाली कक्षा में लाया जाएगा। फिर 28 अगस्त की शाम 5.30 बजे से 6.30 बजे के बीच इसे 178 गुणा 1411 किमी वाली कक्षा में डाला जाएगा।

चंद्रयान-2 आगामी 30 अगस्त शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच चांद की 126 गुणा 164 किमी वाली कक्षा में भेजा जाएगा। अंतत: 1 सितंबर को शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच इसे 114 गुणा 128 किमी वाली कक्षा में पहुंचा दिया जाएगा।

7 सितंबर को दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा चंद्रयान-2

अगले ही दिन यानी 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के आर्बिटर से लैंडर अलग होगा और चांद पर उतरने के लिए चल पड़ेगा। लैंडर 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।

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