
इसरो जासूसी केस में दोषमुक्त हुए पूर्व वैज्ञानिक को सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख के मुआवजा का आदेश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इस केस में वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन को बिना किसी ठोस वजह के गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि नारायणन को न केवल परेशान किया गया, बल्कि मानसिक प्रताड़ना भी दी गई।
वैज्ञानिक ने सुप्रीम कोर्ट में की थी अपील
आपको बता दें कि इसरो जासूसी मामले के आरोप से दोषमुक्त हुए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। अपील पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। नंबी नारायण ने यह अर्जी केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की थी। अपील में नंबी नारायण ने केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक सिबी मैथ्यू और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। दरअसल, इसरो जासूसी प्रकरण की जांच किसी और ने नहीं, बल्कि सिबी मैथ्यू ने ही की थी। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में डीजीपी सिबी मैथ्यू और दो सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने को कहा था। जबकि सीबीआई ने नंबी नारायण की गिरफ्तारी के लिए इन अफसरों को जिम्मेदार ठहराया था।
वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में उत्पीड़न का शिकार इसरो वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। जबकि जासूसी प्रकरण में नारायणन को आरोपित किए जाने की जांच के लिए कोर्ट ने पूर्व न्यायामूर्ति डीके जैन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय वाले पैनल का गठन किया है।
क्या है इसरो जासूसी केस
आपको बता दे कि इसरो जासूसी केस साल 1994 का मामला है। दस समय वैज्ञानिक नंबी नारायणन और डी शशिकुमारन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर कुछ गुप्त दस्तावेज पाकिस्तान को देने का आरोप था। इसके बाद यह केस को सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने अपनी जांच में इसरो वैज्ञानिक पर लगे आरोपों को झूठा बताया था। सीबीआई ने इस मामले में केरल पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था। इसके बाद में 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को रद्द कर दिया था।
Updated on:
14 Sept 2018 02:21 pm
Published on:
14 Sept 2018 12:47 pm
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