आतंकी संगठनों के लिए नुकसान का सौदा मंगलवार को शोपियां एनकाउंटर में ढेर हुए दोनों दहशतगर्द महज दो महीने पहले ही आतंकी बने थे। रिपोर्ट् के मुताबिक आमतौर पर आतंकियों के रूप में इन युवाओं की औसत उम्र छह महीने से ज्यादा नहीं रहती है। लेकिन सेना की सफलता के चलते अब इसमें और गिरावट हो रही है। इस तरह ये आतंकी हिज्बुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के लिए नुकसान का सौदा बनते जा रहे हैं, क्योंकि लंबी ट्रेनिंग के दौरान इन पर काफी पैसा खर्च किया जाता है।
‘ऑलआउट’ में इस साल ढेर हुए 101 आतंकी प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जून 2018 तक जम्मू-कश्मीर के 82 युवा आतंकी संगठनों से जुड़े थे। इनमें से करीब 40 हिज्बुल से, 16 लश्कर से और 26 जैश से जुड़े हैं। इनमें से अधिकांश की उम्र 18 से 20 साल के बीच है। वहीं अधिकांश शोपियां और पुलवामा के रहने वाले हैं। गौरतलब है कि इस साल ऑपरेशन ऑलआउट के तहत 101 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं।
भर्ती में भी हो रहा इजाफा एक तरफ तेजी से आतंकियों का सफाया किया जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ नए आतंकियों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। बताया जाता है कि किसी आतंकी के अंतिम संस्कार में भीड़ देखकर भी दूसरे युवा इस राह पर चलने के लिए बहक जाते हैं। दरअसल अप्रैल के महीने में शुरुआत में ही 13 आतंकी मारे गए थे, इनके अंतिम संस्कार के बाद मई में 12 और जून में 20 से ज्यादा युवाओं ने आतंकी संगठनों का हाथ थाम लिया था।