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ठंड के सामने बौनी साबित हुईं केजरीवाल सरकार की तैयारियां, रैनबसेरों में बिस्तर पड़े कम

बेघर लोगों के लिए भीषण ठंड को झेलना मुश्किल रैन बसेरों में बिस्‍तर पड़े कम दिल्‍ली में है केवल 221 रैन बसेरे

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Dhirendra Kumar Mishra

Dec 30, 2019

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नई दिल्‍ली। पिछले एक पखवाड़े से ज्‍यादा समय से ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। दिल्‍ली का न्‍यूनतम तापमान 3 डिग्री से सेल्शियस से भी नीचे गिर गया है। तापमान गिरने और घना कोहरे की वजह से जनजीव बुरी तरह से प्रभावित है। ऐसे में बेघर लोगों को के लिए इस ठंड को झेलना दुश्‍वार साबित हो रहा है।

ठंड की ये मार बेघर लोगों के लिए उस समय और घातक होने लगी जब दिल्‍ली सरकार की ठंड को लेकर सारी तैयारियां बौनी साबित हुई हैं। जाड़े के इस मौसम में इन रैनबसेरों में जगह की कमी, बिस्‍तर, रजाई के अलावा कई अन्य समस्याएं भी उठ खड़ी हुई हैं। बेघर लोग और रैनबसेरे बनाने और उनमें बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने दिल्ली व आसपास के इलाकों के लिए एक कोड रेड चेतावनी जारी की है। ऐसे हालात में इन रैनबसेरों के केयर-टेकर जुगाड़ के सहारे इनमें यथासंभव ज्यादा से ज्यादा लोगों का समावेश करने का प्रयास कर रहे हैं।

बता दें कि 1997 के बाद दिल्‍ली की अब तक की सबसे भीषण ठंड है। इस ठंड से बेघर लोगों को निजात दिलाने के लिए 221 रैनबसेरों की बेघर लोगों को ठहराने की आधिकारिक क्षमता 17,000 है जो वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी की बेघर आबादी के आधे के लिए भी पर्याप्त नहीं है।