
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाली केरल सरकार से राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रोटोकाल और सामान्स शिष्टाचार का उल्लंघन किया है। सरकार को पहले मुझसे बात करनी चाहिए थी। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण देने को कहा है।
केरल सरकार की निंदा की
इससे पहले दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान खान ने केरल सरकार की निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि- 'जब कभी मैं कोई उल्लंघन देखता हूं, जहां कहीं भी मैं किसी को कानून के विपरीत या संविधान की धाराओं के खिलाफ जाते हुए देखता हूं, तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि मैं जवाब तलब न करूं। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं हैं। यह सुनिश्चित करना मेरी जिम्मेदारी है कि चीजें उस अवस्था तक न पहुंचें जहां संवैधानिक मशीनरी का पतन होता हो।'
अदालम जाने से परेशानी नहीं
बता दें, 16 जनवरी को राज्यपाल ने कहा था कि मुझे केरल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने से मुझे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन, सरकार को चाहिए था कि पहले मुझे सूचित किया जाता। संवैधानिक प्रमुख होने के बावजूद मुझे इसके बारे में मीडिया के माध्यम से सूचना मिली।
प्रोटोकाल का उल्लंघन
राज्यपाल ने कहा था कि- मैं रबर स्टांप नहीं हूं। सरकार की ओर से बिना सूचना ऐसा कदम उठाना प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं इसके बारे में पता करूंगा कि क्या राज्यपाल की मंजूरी के बिना राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है या नहीं। उन्होंने आगे जोड़ा कि- अगर उन्हें अनुमोदन की जरूरत नहीं थी तब वे मुझे केवल सूचित कर सकते थे।
यह है मामला
गौर हो, केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसमें सरकार ने कहा था कि सीएए को असंवैधानिक घोषित किया जाए। इससे पहले सीएम पिनराई विजयन स्पष्ट कर चुके हैं कि वह राज्य में सीएए और एनआरसी और राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (NRC) लागू नहीं करेंगे। सरकार का तर्क है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है।
Updated on:
19 Jan 2020 04:28 pm
Published on:
19 Jan 2020 04:24 pm
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