
केरल: कैग ने पहले जता दिया था बाढ़ का अंदेशा, अमल होता तो बच जातीं कई जिंदगियां
केरल में बाढ़ से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राहत कार्य जोर-शोर से जारी है। आपको बता दें, पिछले साल कैग ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बाढ़ का अंदेशा जताया गया था। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि उसे गंभीरता से लिया जाता तो बाढ़ से हुए नुकसान को कम किया जा सकता था।
रिपोर्ट में पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ के हवाले से कहा गया है कि देश में बाढ़ प्रबंधन का बुरा हाल है। बाढ़ का प्रकोप ज्यादा होगा तो नुकसान ज्यादा होगा, मसलन राहत और पुनर्वास के लिए ज्यादा मुआवजा बंटेगा।
रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि राहत एवं पुनर्वास मुआवजे को लेकर अधिकारियों की धांधलियां आपदा स्थितियों को जस का तस बनाए रखने की रणनीति में जुटी रहती हैं। केरल में बाढ़ के लिए कोई एक फैक्टर जिम्मेदार नहीं है। बाढ़ के इस तांडव के कई कारण हैं।
एजेंसी से बातचीत में विक्रांत तोंगड़ ने कहा है कि- लगभग एक दशक से जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को लेकर आगाह किया जा रहा है। बाढ़ का विकराल रूप धारण करने के पीछे जलवायु परिवर्तन तथा अन्य घरेलू काकरों के साथ-साथ सरकारी नीतियों का भी हाथ है।
रिपोर्ट में विक्रांत के हवाले से यह भी कहा गया है कि बाढ़ को रोका नहीं जा सकता लेकिन इससे होने वाले नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। हरियाली कम हो रही है, इसी वजह से अनियंत्रित बारिश हो रही है।
उन्होंने पिछले साल जारी कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि हमारा आपदा प्रबंधन दुरुस्त नहीं है। बता दें पिछले साल जारी कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि आजाद हुए 70 साल से ज्यादा समय हो गया है्र किंतु अभी तक बाढ़ के लिए आवंटित पैसे का सही ढंग से उपयोग नहीं हो पा रहा। हमारी बाढ़ प्रबंधन एवं पुनर्वास योजना पूर्ण रूप से क्रियान्वित नहीं हो रही है।
रिपोर्ट में विक्रांत के हवाले से कहा गया है कि हम बाढ़ रोकने के लिए तैयार नहीं हैं और केरल में तो बिलकुल भी तैयारी नहीं थी। इसमें राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की लापरवाही और उदासनी रवैये का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन हां केंद्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूमिका राज्य की तुलना में फिर भी बेहतर है।'
पर्यावरणिवद विक्रांत के अनुसार- केरल में इस बार सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जो पिछले कई वर्षो की तुलना में कहीं अधिक है। यही वजह रही कि इडुक्की बांध के पांचों दरवाजे खोलने पड़े। किंतु इससे पहले कोई योजना नहीं बनाई गई। पिछले 26 साल में पहली बार बांध के पांचों दरवाजे खोलने पर स्थिति क्या हो सकती है, वो सबके सामने हैं।
Published on:
20 Aug 2018 04:54 pm
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