
नई दिल्ली: वैसे तो भारत ने अंतरिक्ष में कई मिसाइलों का सफल परीक्षण कर कई बार अपना परचम दुनिया भर में लहराया है। वहीं जब बात आती है कम बजट में मिसाइलों के परीक्षण की तो भारत की स्पेस एजेंसी ईसरो को दुनिया भर में जाना जाता है। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के लिए आज का दिन काफी अहम है, क्योंकी आज ही के दिन भारत का पहला मंगल अभियान पहली ही कोशिश में अपनी कक्षा में स्थापित हो गया था, जी हां हम बात कर रहे हैं मार्स ऑर्बिटर मिशन यानि कि 'मॉम' की, जो कि आज ही के दिन मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया था।
इस मिशन से जुड़ी 5 बड़ी बातें-
- मंगलयान को 5 सितंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था और 1 साल के बाद ही 24 सितंबर 2014 को ये मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया था। भारत के लिए ये बड़ी कामयाबी इसलिए थी, क्योंकी भारत ये उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था।
- भारत से पहले ये प्रयास चीन और जापान ने किए थे, लेकिन वो सफल नहीं हो सके थे। वहीं अमरीका को इस मिशन को सफल बनाने के लिए सात बार कोशिश करनी पड़ी थी, जबकि भारत ने एक ही बार में ये कामयाबी हासिल कर ली थी।
- इस मिशन की सबसे खास बात ये थी कि सबसे कम बजट में इसरो ने ये उपलब्धि हासिल कर ली थी। मिशन 'मॉम' 450 करोड़ की लागत से सबसे कम खर्च वाला मिशन बना था। जब इसकी तुलना नासा के मंगलयान मिशन से की जाए तो मावेन की लागत 'मॉम' से 10 गुना ज्यादा थी।
- मिशन 'मॉम' के सफल परीक्षण के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्पेस रिसर्च एजेंसी इसरो की डिमांड दुनिया में बढ़ी है। मंगलयान के सफल परीक्षण के बाद दुनिया भर के कई देशों ने अपनी मिसाइलों की लॉन्चिंग की जिम्मेदारी इसरो को दी है। आपको बता दें कि इसरो कम लागत में मिसाइलों के परीक्षण के जाना जाता है, यही वजह है कि दुनिया के तमाम देश अब भारत से ही मिसाइल परीक्षण कराते हैं। इसी का नतीजा था कि इसी साल फरवरी में भारत ने 104 सैटेलाइट को एक साथ लॉन्च कर इतिहास बनाया था, जिनमें से भारत के सिर्फ 3 ही सैटेलाइट थे बाकि 101 सैटेलाइट्स इसराइल, कज़ाख़्स्तान, नीदरलैंड, स्विटज़रलैंड और अमरीका के थे।
- भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर नई चमक दी थी। मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली। ऐसे में भविष्य में मंगल पर कई और खोजों को लेकर भारत के सामने ये चुनौती होगी वो भी उस समय जब दुनिया के कई देश चांद को छोड़कर मंगल पर जीवन की तलाश करने में जुटे हैं। वहीं कई देश 2020 से 2022 तक मंगल तक पहुंचने के दावे कर रहे हैं।
Published on:
24 Sept 2017 10:53 am
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
