
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब महापंचायत बुलाई गई हो। पहले भी हम यदा-कदा महापंचायत बुलाने और उनमें सामाजिक मुद्दों तथा झगड़ों का हल निकालने की बात सुन चुके हैं। परन्तु इस बार मामला कुछ अलग है। इस बार सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि बिलों को निरस्त कराने के लिए बहुत बड़ी संख्या में किसान एक साथ एक जगह एकत्रित होकर विरोध कर रहे हैं। इन्हीं किसानों की आवाज को बुलंद करने के लिए किसान महापंचायतों का दौर चल रहा है।
मोदी सरकार द्वारा गत वर्ष पारित किए गए तीन कृषि बिलों को लेकर किसान 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं। दिल्ली की सीमाओं पर अलग-अलग जगह किसान अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। अपनी मांग मनवाने के लिए आगे की रणनीति बनाने के लिए समय-समय पर किसानों की महापंचायत बुलाई जा रही है। आइए समझते हैं कि किसान महापंचायत क्या है और कैसे काम करती है-
किसान महापंचायत क्या है
प्राचीन समय से महापंचायत होती रही है, इसमें अलग-अलग जातियों, सम्प्रदायों के लोग मिलकर एक साथ इकट्ठे होते हैं और किसी मुद्दे पर अपनी राय रख कर उसे सुलझाने का प्रयास करते हैं। यहां जो निर्णय लिया जाता है, उसे अमिट मान कर भविष्य में आने वाली समस्याओं के लिए नजीर बना दिया जाता है।
एक तरह से कहा जा सकता है कि जो काम एक अकेला नहीं कर सकता, सैंकड़ों और हजारों की संख्या में मिलकर वही लोग महापंचायत के रूप में अपनी समस्याओं को सुलझाते हैं।
किसान आंदोलन में क्या है महापंचायत की भूमिका
कृषि बिलों को लेकर 26 नवंबर को जब किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ था तब तक महापंचायत की कोई भूमिका नहीं थी लेकिन जब आंदोलन आगे बढ़ने लगा और किसानों की संख्या भी बढ़ने लगी तब महापंचायत बुलाने का ऐलान किया गया। इसके बाद 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद पूरा परिदृश्य ही एकदम से बदल गया और खाप महापंचायत किसानों के समर्थन में उतर आई। महापंचायत ने खुल कर किसान नेता राकेश टिकैत का समर्थन किया।
राजनीति में महापंचायतों की भूमिका
यदि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महापंचायतों की भूमिका देखी जाए तो देखने को मिलेगा कि ये एक बहुत बड़े वोट बैंक की तरह काम करती हैं। इनके एक आह्वान पर बड़ी-बड़ी पार्टियों के नेताओं को हारते और जीतते देखा जा चुका है। मनोवैज्ञानिक तौर पर एक आदमी सामूहिक चेतना के साथ जुड़ने और उसके जैसा दिखने का प्रयास करना चाहता है। महापंचायतों के साथ बहुत बड़ी संख्या में किसान जुड़े हुए होते हैं जिनके परिवार और जानकारों को मिलाया जाए तो एक ऐसा वर्ग बनता है जो अपने नेतृत्व के एक इशारे पर कुछ भी करने के लिए तत्पर रहता है।
Published on:
12 Feb 2021 01:58 pm
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