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जानिए आखिर क्या होती है Zero FIR, सुशांत सिंह राजपूत केस में जिसकी हो रही चर्चा

Sushant Singh Rajput Case लगातार आ रहे नए मोड़ अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के खिलाफ Zero FIR को लेकर देशभर में हो रही चर्चा कुछ खास परिस्थितियों में कानून देता है जीरो एफआईआर की इजाजत

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Dheeraj Sharma

Jul 29, 2020

know what is Zero FIR

जानें क्या होती है जीरो एफआईआर जिसकी सुशांत सिंह राजपूत केस में हो रही चर्चा

नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ( Sushant Singh Rajput ) मामले में लगातार नए मोड़ सामने आ रहे हैं। हाल में इस मामले में जीरो एफआईआर ( Zero FIR ) दर्ज की गई है। सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने बिहार ( Bihar ) के पटना ( Patna ) में अभिनेत्री और सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रैंड के खिलाफ ये जीरो एफआईआर दर्ज करवाई है। इस जीरो एफआईआर के दर्ज होते ही इसको लेकर हर तरफ चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।

दरअसल हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर ये जीरो एफआईआर क्या होती है। क्या ये सामान्य एफआईआर से अलग होती है, अगर हां तो इसमें क्या अंतर होता है? कुछ ऐसे ही सवाल हर किसी को मन में उठ रहे हैं। आईए आपको बताते हैं कि आखिर ये जीरो एफआईआर होती क्या है, जिसको लेकर इन दिनों हर तरफ चर्चा हो रही है।

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सुशांत सिंह राजपूत केस में जीरो एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही इसको लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। दरअसल किसी भी आपराधिक मामले में कोशिश की जाती है कि एफआईआर संबंधित थाना क्षेत्र में ही दर्ज की जाए, ताकि केस की जांच को आसानी से आगे बढ़ाया जा सके। लेकिन कई बार कुछ परिस्थितियों में ये संभव नहीं हो पाता है।

इन हालातों में कानून देता है अनुमति
जब कुछ परिस्थितिथियों के कारण संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज नहीं करवाई जा सकती है तो पीड़ित को किसी बाहरी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवानी पड़ती है। ऐसे में कई बार देखा गया है कि मामला बाहर का होने के कारण उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। ऐसी परिस्थितियों में पीड़ित की मदद करने के लिए सरकार की ओर से कानून में जीरो एफआईआर का प्रावधान जोड़ा गया है।

इस कानून के तहत पीड़ित अपने नजदीकी किसी भी थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करा सकता है। ऐसी ही एफआईआर को जीरो एफआईआर के तौर पर दर्ज किया जाता है। इसके बाद इस एफआईआर को संबंधित थाने में ट्रान्सफर कर दिया जाता है। जहां पर फिर इसकी आगे की कार्रवाई होती है।

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आपको बता दें कि जीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस मामले की जांच किए बिना मामले को संबंधित थाने में नहीं ट्रांसफर कर सकती।