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लांस नायक हनुमनथप्पा को भावभीनी श्रद्धांजलि, अंत्येष्टि आज

आर्मी हॉस्पिटल द्वारा जारी लेटेस्ट बुलेटिन में लांस नायक हनुमनथप्पा की मृत्यु की जानकारी दी गई है, पूरे देश में दौड़ी शोक की लहर

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Sunil Sharma

Feb 12, 2016

hanmanthappa

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नई दिल्ली। शोकाकुल राष्ट्र ने अपने महान सपूत लांस नायक हनुमनथप्पा कोपड को गुरुवार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मद्रास रेजिमेंट के लांस नायक कोपड तीन फरवरी को सियाचिन में हिमस्खलन में अपने नौ अन्य साथियों के साथ दब गए थे। उन्हें छह दिन बाद 35 फुट बर्फ से जीवित निकाला गया था और दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां गुरुवार पूर्वाह्न उनका निधन हो गया।

तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाने से पूर्व बरार स्क्वायर ले जाया गया, जहां रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, तीनों सेनाओं के प्रमुखों, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। देश के कई अन्य हिस्सों में भी लांस नायक कोपड को श्रद्धांजलि दी गई।

उनके पार्थिव शरीर को कर्नाटक के हुबली ले जाया जाएगा, जहां शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मस्खलन में शहीद हुए बाकी जवानों के पार्थिव शरीरों को भी सियाचिन से लाने के प्रयास जारी हैं। वहां विमान संचालन के लिए मौसम अभी अनुकूल नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांस नायक हनुमनथप्पा थप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह अमर हैं। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, वह हमें दुखी व तन्हा कर चले गए। लांस नायक हनुमनथप्पा की आत्मा को शांति मिले। जवान आप अमर हैं। गर्व है कि आप जैसे शहीदों ने भारत की सेवा की।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लांस नायक हनुमनथप्पा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के इस बहादुर बेटे ने अपने जीवन में पूरे देश को एक कर दिया है। उनके पूरे देश ने एक स्वर में प्रार्थना की है और प्रत्येक नागरिक
उनके निधन से दुखी है। वह अपने जीवन के अंतिम क्षण जिजीविषा, साहस और ²ढ निश्चय के साथ लड़ते रहे जो हमारी सशस्त्र सेनाओं की खासियत है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने लांस नायक के परिजनों के प्रति संवेदना भी जताई। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी लांस नायक हनुमनथप्पा के निधन पर शोक जताते हुए कहा है कि उनके जीवन ने पूरी दुनिया को साहस और ²ढता का अर्थ बता दिया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लांस नायक हनुमनथप्पा कोपड के निधन पर गहरा शोक जताया। बनर्जी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट््वीटर पर कहा, लांस नायक हनुमनथप्पा के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं। उन्होंने दुश्मनों से
भारतीय सीमा की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया। बहादुर सैनिक ने वतन के लिए अपना बलिदान दिया। वीर सैनिक और सियाचिन हादसे में शहीद हुए उनके सहयोगियों को नमन।

देश भर में दौड़ गई शोक की लहर
कर्नाटक के एक छोटे से गांव में रहने वाले हनुमनथप्पा की मौत की खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन पर देश के गणमान्य नागरिकों ने दुख जताया। पीएम मोदी ने भी लांस नायक हनुमनथप्पा की शहादत को सलाम करते हुए ट्वीटर पर लिखा




भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया








डॉक्टरों ने दिया था 24 घंटों का अल्टीमेटम


लांस नायक हनुमनथप्पा का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बुधवार रात को कहा था कि अगले 24 घंटे उनकी जिंदगी के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। उनके दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही थी जिससे उनके शरीर के कई अंगों के निष्क्रिय होने का खतरा बना हुआ थी। चिकित्सकों के अनुसार यदि इस दौरान उनकी हालत में सुधार होता तो उनके सुरक्षित बचने की उम्मीद बढ़ जाती।


पूरे देश में चल रहा था प्रार्थना और दुआओं का दौर


जहां देश के डॉक्टर लांस नायक हनुमनथप्पा के इलाज का हरसंभव प्रयास कर रहे थे वही तमाम देशवासी भी उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। उनकी सलामती के लिए देशभर में प्रार्थनाएं तथा दुआएं मांगी जा रही थी। मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर के अलावा हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी में विशेष प्रार्थना हुई। पूरे देश में इसी चमत्कार की उम्मीद की जा रही थी कि डॉक्टर उन्हें जिंदा बचाने में सफल होंगे परन्तु ऐसा नहीं हो सका। देश भर के लोग उनके लिए अपने अंगों का दान करने को भी तैयार थे परन्तु ऐसा कुछ नहीं हो सका।


छह दिन तक बर्फ में दबे रहे थे


उल्लेखनीय है कि 3 फरवरी को सियाचिन में पूरा बर्फ का पहाड़ ही टूटकर जवानों पर गिर पड़ा था। पहाड़ की लंबाई लगभग 1000 मीटर तथा चौड़ाई 800 मीटर थी। इसके टूटते ही बर्फीली चट्टानें जवानों पर गिरने लगी और सेना के 10 जवान बर्फ के नीचे दब गए। इनमें में केवल 9 जवानों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी जबकि छह दिन बाद लांस नायक हनुमनथप्पा को सेना ने जीवित ही ढूंढ निकाला था। उनका दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था परन्तु इतनी ठंड में छह दिनों तक दबे रहने के कारण उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई।

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