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न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा से जुड़े विवाद और बड़े फैसले

जस्टिस जे एस खेहर का कार्यकाल पूरा होने के बाद देश के मुख्य न्यायाधीश बने दीपक मिश्रा का विवादों के साथ पुराना नाता रहा है।

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CJI deepak mishra

नई दिल्ली। दीपक मिश्रा देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश हैं। जस्टिस जे एस खेहर का कार्यकाल पूरा होने के बाद देश के मुख्य न्यायाधीश बने दीपक मिश्रा का विवादों के साथ पुराना नाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कार्यकाल न्यायपालिका के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। उनके कुछ फैसलों को लेकर उनकी तारीफ हुई तो कुछ को लेकर उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। उनके कुछ फैसले बेहद प्रगतिवादी कहे गए तो कुछ फैसलों के चलते उन पर कई गंभीर आरोप भी लगे।

चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्यकाल की शुरुवात राम मंदिर और बाबरी मस्जिद जैसे विषयों से हुई। प्रधान न्यायाधीश के तौर पर वह अयोध्या भूमि मालिकाना हक मामले के अलावा अन्य कई बड़े मुद्दे जैसे कावेरी जल विवाद, सेबी सहारा लोन अदायगी विवाद, बीसीसीआई के प्रशासनिक सुधार, पनामा पेपर लीक, निजता नीति और एससी एसटी कानून में संशोधन जैसे कई अहम मुद्दों पर फैसले देने वाली पीठों में शामिल रहे हैं।

जस्टिस दीपक मिश्रा के अहम फैसले

1-याकूब की फांसी पर रोक लगाने की याचिका पर आधी रात को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए फांसी की सजा रोकने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था। इस मामले में देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट रात को सुनवाई के लिए खोला गया। एक तरफ जहां इस कदम के लिए जस्टिस मिश्रा की तारीफ हुई वहीँ दूसरी और उन पर गलत परम्परा को शुरू करने के आरोप भी लगे।

2- 2008 में एक चार वर्षीय बच्‍ची के साथ दुष्‍कर्म और हत्‍या करने के मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मानते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने वसंत दुपारे नामक आरोपी की फांसी की सजा के विरुद्ध दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। नागपुर के इस मामले में दुपारे को 2008 में बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में दुपारे ने बच्ची से बलात्कार किया था और फिर भारी पत्थरों से सर कुचल कर उसकी हत्या कर दी थी।

3- निर्भया गैंग रेप केस में जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला एक मील का पत्थर माना जाता है। जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने दिसंबर 2012 में चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप करने के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने फैसले में कहा था कि 'इस अपराध की किस्म और इसके तरीके ने सामाजिक भरोसे को नष्ट कर दिया है जिसमें दोषियों की फांसी ही सबसे उपयुक्त इलाज है।'

4- जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए पूरे देश में सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाये जाने और इस दौरान थिएटर में मौजूद लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होने का हुक्म दिया था।

5- 156 साल पुराने दंडात्मक कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने में सुप्रीम कोर्ट का बहुत बड़ा योगदान था। इस मामले में फैसला देते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि किसी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का आज मतलब नहीं है कि किसी और की इज्जत और प्रतिष्ठा की धज्जियाँ उदा दी जाएं।

जस्टिस दीपक मिश्रा से जुड़े मुख्य विवाद

1- जस्टिस दीपक मिश्रा पर अपने वकालत के शुरुआती दिनों में एक झूठा शपथ पत्र देकर उड़ीसा सरकार से भूमिहीन किसानों के लिए एक योजना के अंतर्गत जमीन हड़पने का आरोप लगा था। 1985 में तत्कालीन अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने इस आवंटन को रद्द करते हुए कहा कि यह योजना भूमिहीन किसानों के लिए है और दीपक मिश्रा इसे अंतर्गत नहीं आते इसलिए उनका आवंटन रद्द किया जाता है.

2- सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने आकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। ये चारों जज सुप्रीम कोर्ट में वरीयता के मामले में जस्टिस दीपक मिश्रा से नीचे दूसरे से पांचवें नंबर पर हैं। जजों ने चीफ जस्टिस पर कई आरोप लगाए।

3- वरिष्ठ वकील और पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने दीपक मिश्रा पर आरोप लगाया था कि उनका नाम अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल के सुसाइड नोट में था। शांति भूषण ने कहा कि इस सुसाइड नोट में न्यायपालिक में भ्रष्टाचार की बात लिखी गई थी, जिसका साफ इशारा दीपक मिश्रा की और था।

4- जस्टिस दीपक मिश्रा ने गुजरात में 2002 के दंगों में तोड़े गए धार्मिक स्थलों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को बाध्य करने वाले फैसले देने से मना कर दिया। इस बारे में जस्टिस दीपक मिश्रा का कहना था कि मुआवजा देना सरकार का काम है और कोर्ट इसके लिए उसे बाध्य नहीं कर सकता।

5- जस्टिस दीपक मिश्रा पर सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर सिस्टम को प्रभावित करने के आरोप लगे है। सुप्रीमकोर्ट के एक अन्य जस्टिस पीवी चेलमेश्वर ने हाल में ही एक कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा पर सभी महत्वपूर्ण केस अपने पास रख लेने का आरोप लगाया।


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