
नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस ( coronavirus ) को लेकर हाहाकार की स्थिति है। इस बीच भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त ( WHO ) ने इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए दवा विकसित करने का मन मन बनाया है। बहुत जल्द कोरोना की दवा बनाने को लेकर वैज्ञानिक परीक्षण शुरू होने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन की अन्य देशों के साथ परीक्षण वाली प्रक्रिया में प्रमुख भागीदार होगा।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( ICMR ) की महामारी एवं संक्रामक रोग इकाई के प्रमुख डा. रमन आर गंगाखेडकर ने इस बारे में बताया है कि परीक्षण के फलस्वरूप नई दवाओं की खोज हो सकेगी। गंगाखेडकर ने कहा कि इस बात की संभावना ज्यादा है कि बहुत जल्द डब्ल्यूएचओ की परीक्षण प्रक्रिया का हम भागीदार होंगे। आईसीएमआर के गंगाखेडकर ने कहा कि पहले भारत ने इसमें भागीदारी नहीं की थी।
उन्होंने बताया है कि आईसीएमआर की प्राथमिकता कोरोना के संक्रमण की दवा विकसित करने की है। कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में जैव प्रौद्योगिकी विभाग कार्यरत है। करीब 30 वैज्ञानिकों का समूह टीका विकसित करने की दिशा में शोधरत है।
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ( Health Ministry ) के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने इस बारे में बताया है कि पब्लिक सेक्टर के एक उपक्रम को 10 हजार वेंटीलेटर की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई है। देश में जरूरी उपकरणों की कमी को दूर करना के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को अगले एक दो महीने के भीतर 30 हजार अतिरिक्त वेंटिलेटर की आपूर्ति करने को कहा गया है।
संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने स्थानीय अस्पतालों और डिस्पेंसरी के बाह्य रोगी विभागों ( OPD ) में मरीजों का इलाज बंद होने के सवाल पर कहा कि चिकित्सा सेवा आपात सेवा में शामिल है। उन्होंने बताया कि सरकार ने ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श के लिए टेलीमेडिसिन ( Telemedicine ) की इजाज़त दे दी है। जिससे निजी डिस्पेंसरी और अस्पतालों के चिकित्सकों से लोग ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श ले सकेंगे।
वहीं गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन ( Lockdown ) का मकसद लोगों का आवागमन रोक कर जो जहां है वहीं सुरक्षित रखना है।
Updated on:
28 Mar 2020 09:34 am
Published on:
28 Mar 2020 01:02 am
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
