‘Lockdow नहीं होता तो सक्रमितों का आंकड़ा कुछ और होता’ देश में फिलहाल 1,18,447 कोरोना के मरीज हैं। जबकि, 51783 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, 3720 लोगों की मौत हो चुकी है। नीति आयोग ( Niti Aayog ) के स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर डॉ. वी. के. पॉल ( Dr. V.k. Paul ) ने कहा लॉकडाउन के कारण ना केवल हजारों जिंदगियां बची, बल्कि कोरोना संक्रमितों की संख्या भी काम रही। उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 14 से 29 लाख के बीच होता। जबकि, मरने वालों का आंकड़ा 37 से 78 के बीच होता।
चार अप्रैल से कोरोना मरीजों की संख्या में कमी डॉक्टर वी.के. पॉल का कहना है कि 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लागू किया गया। जबकि, चार अप्रैल से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आने लगी। उन्होंने कहा कि तीन अप्रैल तक देश में कोरोना मरीजों की संख्या में प्रतिदिन 22.6 प्रतिशत से इजाफा हो रहा था। जबकि, चार अप्रैल से इसकी रफ्तार में कमी आ गई। वहीं, अब 5.5 प्रतिशत से प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लिहाजा, लॉकडाउन के कारण इसकी रफ्तार में बहुत कमी आई।
दो रिपोर्ट में अलग-अलग दावे रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि समय और चरणबद्ध तरीक से लॉकडाउन के कारण कोरोना संक्रमण फैलने में लगाम लगी। साथ ही चिकित्सा क्षेत्र को मजबूत करने का मौका मिला। इसके अलावा कोरोना के संभावित दवाओं, टीका और उपचार के लिए भी समय मिला है। BGG के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण 1.2 से 2.1 लोगों की जिदंगियां बची, जबकि 36 से 70 लाख कोरोना के केस हो सकते थे। वहीं, PHFI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन के कारण 78 हजार जिदंगियां बचाई गई। डॉक्टर पॉल ने यह भी कहा है कि केवल पांच राज्यों में कोरोना से भारी तबाही है। इनमें महाराष्ट्र ( Maharashtra ), गुजरात ( Gujarat ), तमिलनाडु ( Tamil Nadu ), दिल्ली ( Delhi ), मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) शामिल हैं। चार अप्रैल से कोरोना मरीजों की संख्या में कमी