25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लोकसभा सांसद और पूर्व गृह राज्यमंत्री मोहम्मद तस्लीमुद्दीन का निधन, लंबे समय से थे बीमार

मोहम्मद तस्लीमुद्दीन एच डी देवगौड़ा की सरकार में गृह राज्य मंत्री भी रहे थे। इसके अलावा वो राबड़ी देवी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे

2 min read
Google source verification
tasleemuddin

चेन्नई: बिहार के अररिया से लोकसभा सांसद और पूर्व गृह राज्य मंत्री मोहम्मद तस्लीमुद्दीन का आज चेन्नई में निधन हो गया। तस्लीमुद्दीन काफी लंबे समय से बीमार थे और उनका इलाज चेन्नई के अपोलो अस्पताल में चल रहा था, जहां उनका इलाज के दौरान निधन हो गया। रविवार को तस्लीमुद्दीन ने 74 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।

एचसी गौड़ा की सरकार में रहे थे गृह राज्य मंत्री
मोहम्मद तस्लीमुद्दीन अररिया से सांसद थे और उनकी गिनती आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं में की जाती थी। मोहम्मद तस्लीमुद्दीन एच डी देवगौड़ा की सरकार में गृह राज्य मंत्री भी रहे थे। इसके अलावा तस्लीमुद्दीन 5 बार सांसद भी रह चुके हैं, साथ ही 8 बार विधायक भी चुने गए थे। इसके अलावा तस्लीमुद्दीन बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। उनके परिवार में तीन बेटे और 2 बेटियां हैं।

बेटा सरफराज भी है जेडीयू से विधायक
उनके बेटे सरफराज अहमद भी फिलहाल जेडीयू से विधायक हैं। बिहार के सीमांचल इलाके में तस्लीमुद्दीन की खासी पकड़ थी और उनके समर्थक और भक्त उन्हें सीमांचल का गांधी भी पुकारते थे।

मुस्लिम बहुल इलाका है सीमांचल
आपको बता दें कि बिहार में सीमांचल बंगाल से सटा हुआ है और वो इलाका है जहां भारी गरीबी है, हर साल बाढ़ से जिंदगी दूभर होती है और मुसलमानों की अच्छी खासी तादाद आबाद है।

कौन थे तस्लीमुद्दीन?
तस्लीमुद्दीन की सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सरपंच से की और गृह राज्य मंत्री जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाई। 1959 में सरपंच बने, 1964 में मुखिया बने. 1969-89, 1995-96 and 2002-2004 के बीच आठ बार विधायक चुने गए।

मोहम्मद तस्लीमुद्दीन साल 1989 में पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए थे। इसके बाद जून-जुलाई 1996 में करीब एक महीने तक वो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहे थे। 2000-2004 के बीच राबड़ी देवी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके अलावा वो लेखक की भूमिका भी निभा चुके थे। उन्होंने तीन किताबें लिखी हैं। सीमांचल क्यों?, सीमांचल बुलेटिन और बिहार किशोर।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग