
इन बातों से जानें करुणानिधि के जीवन का सफर, इस फिल्म से मिली थी लोकप्रियता
चेन्नई: भारतीय राजनीति और द्रविड़ सियासत के भीष्म पितामह कहे जाने वाले एम करुणानिधि का दुनिया में नहीं रहे । 94 साल की उम्र में मंगलवार को उनका चेन्नई के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया। करुणानिधि सिर्फ राजनेता ही नहीं थे वो एक लेखक, कवि , नाटककार और विचारक रहे। उनका व्यक्तित्व इतना व्यापक था कि राज्य से लेकर केंद्र तक में उनका दखल था। करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तमिलनाडु के तिरुक्कुवलई में हुआ था। 14 साल की उम्र में वो राजनीति में कदम रख दिए थे। करुणानिधि 13 बार विधायक रह चुके हैं।
14 साल की उम्र में राजनीति में रखा था कदम
करुणानिधि 14 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर राजनीति में कूद गए थे। दक्षिण भारत में हिंदी के विरोध के लिए वह सबसे आगे रहे। हिंदी विरोध आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही। 1937 में स्कूलों में हिंदू अनिवार्य करने का उन्होंने जोरदार विरोध दर्ज कराया था। बाद में उन्होंने तमिल भाषा में नाटक और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने का काम शुरू किया। उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'राजकुमारी' से लोकप्रियता हासिल की।
स्क्रिप्ट राइटर से करियर की शुरुआत
उनकी बेहतरीन भाषण शैली को देखकर पेरियार और अन्नादुराई ने उन्हें 'कुदियारासु' का संपादक बना दिया। हालांकि, पेरियार और अन्नादुराई के बीच मतभेद के बाद करुणानिधि अन्नादुराई के साथ जुड़ गए। करुणानिधि ने तमिल फिल्म उद्योग में एक स्क्रिप्ट लेखक के रूप में करियर शुरू किया और कुछ ही समय में ही काफी लोकप्रिय हो गए। वे द्रविड़ आंदोलन से जुड़े थे और इसकी गहरी छाप उनके लेखन में झलकती थी। उनके द्वारा लिखी गई 75 पटकथाओं में 'राजकुमारी', 'अभिमन्यु', 'मंदिरी कुमारी', 'मरुद नाट्टू इलवरसी', 'मनामगन', 'देवकी' समेत कई फिल्में शामिल हैं
‘पराशक्ति’ फिल्म से मिली लोकप्रियता
करुणानिधि को पराशक्ति नामक फिल्म ने रातोरात लोकप्रिय बना दिया। फिल्म से वो मशहूर होते गए। हालांकि शुरुआत में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया लेकिन 1952 में इस रिलीज कर दिया गया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। रुढ़िवादी हिंदुओं ने इस फिल्म का विरोध किया था।
पहली बार विधायक बने
1957 में विधानसभा चुनाव में वो पहली बार विधायक बने । इस दौरान उनके अलावा उनकी डीएमके पार्टी से 12 अन्य लोग भी विधायक बने । करुणानिधि 1961 में डीएमके कोषाध्यक्ष बने और 1962 में राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता बने। 1967 के चुनावों में उनकी पार्टी ने बहुमत हासिल कर लिया।
1969 में करुणानिधि सीएम बने
1967 में डीएमके के सत्ता में आने के बाद अन्नादुराई तमिलनाडु के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। अन्नादुराई कैबिनेट में करुणानिधि मंत्री बने। डीएमके के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु में कांग्रेस पिछड़ती चली गई। 1969 में अन्नादुरई की मौत हो गई और करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे।
पांच बार तमिलनाडु के CM रहे
करुणानिधि पहली बार 1969 से 71 तक तमिलनाडु के सीएम रहे। 1971 के विधानसभा चुनाव में एकबार फिर पार्टी को जीत मिली और करुणानिधि दूसरी बार (1971-76) तमिलनाडु के सीएम बने। तीसरी बार वे 1989 से 91 तक सीएम रहे। फिर चौथी बार 1996 से 2001 तक सीएम रहे। पांचवीं बार वे 2006 से 2011 तक तमिलनाडु के सीएम रहे।
Published on:
07 Aug 2018 08:17 pm
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