
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ( Second wave of coronavirus ) इस समय कहर बरपा रही है, इसके साथ ही ब्लैक फंगस ( Black fungus ) जैसी बीमारियों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने कोविड और फंगस जैसी महामारियों से बचाव के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र ( Government of Maharashtra ) में बाल चिकित्सकों और कोरोना टास्क फोर्स ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अपील की है कि मानसून से पहले बच्चों को फ्लू का टीका लगाया जाए। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना और फ्लू के शुरु आती लक्षण काफी हद तक एक जैसे होते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि फ्लू के इलाज से कोरोना के संभावित खतरे को टालने में काफी मदद मिलेगी।
फ्लू से निमोनिया और ब्रोंकाइटिस होने की संभावना
डॉक्टरों की मानें तो इन्फ्लूएंजा एक श्वसन वायरस संक्रमण है इसलिए इसके लक्षण कोरोना संक्रमण से काफी मेल खाते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि दोनों के ही सामान्य लक्षण सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार व बदन दर्द हैं। पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी के डॉ. सुरेश बिराजदार की मानें तो फ्लू के टीके छह माह और उससे ज्यादा उम्र क बच्चों को दिए जान चाहिए। फ्लू से निमोनिया और ब्रोंकाइटिस होने की संभावना बनी रहती है। क्योंकि निमोनिया फेफड़ों का संकमण होता है और ब्रोंकाइटिस में फेफड़ों की नलियों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इसकी वजह से मरीज को ब्रीदिंग प्रॉब्लम होती है। यहां तक कि बुखार के साथ-साथ तेज दौरे पडऩे की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जबकि फ्लू का टीका लेने के बाद यह खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। टीका लेने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती का करने की संभावना भी कम हाती है।
बच्चों को फ्लू का टीका लगवाना समझदारी
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय भावे का कहना है कि बच्चों को फ्लू का टीका लगवाना एक समझदारी भरा कदम है। खासकर जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन का टीका नहीं लगाया जा सकता। ऐसे करने से आपके बच्चे फ्लू का टीका लगवा सकते हैं।
Updated on:
24 May 2021 10:36 pm
Published on:
24 May 2021 10:28 pm
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