उनकी ओर से लगाए गए इन्हीं आरोपों की अब जांच होगी। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है।
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परमबीर सिंह के आरोप की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अध्यक्ष में एक सदस्यीय समिति बनाई गई है। यानी पूर्व जज ही इस मामले की जांच करेंगे। इस जांच की रिपोर्ट सौंपने के लिए राज्य सरकार ने 6 महीने का वक्त दिया है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
पूर्व जज चांदीवाल अपनी जांच में कुछ खास बिंदुओं पर फोकस करेगी। मसलन, क्या परमबीर सिंह ने अपने 20 मार्च के पत्र में कोई सबूत प्रस्तुत किया है, जहां उन्होंने अनिल देशमुख के खिलाफ आरोप लगाए हैं।
इसके साथ ही परमबीर सिंह के पास दिए गए सबूतों की जांच राडार पर होगी, जो ये साबित करती हो कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री या उनके किसी कर्मचारी द्वारा किए गए किसी भी अपराध का आरोप सही है।
इस दौरान इस बात की जांच भी की जाएगी कि परमबीर सिंह के आरोपों के आधार पर ही एंटी करप्पशन ब्यूरो से गृहमंत्री अनिल देशमुख या उनके स्टाफ की जांच करवाई जानी चाहिए या नहीं।
परमबीर सिंह ने लगाया था ये गंभीर आरोप
आपको बता दें कि मुंबई के पुलिस कमिश्नर पद से तबादले के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि, देशमुख ने पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य दिया था। वहीं गृहमंत्री देशमुख ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
दरअसल सचिन वाजे मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर मिली संदिग्ध कार मामले में मुख्य आरोपी हैं। एनआईए संदिग्ध कार और उसमें मिली सामग्री को लेकर सचिन वाजे से लगातार पूछताछ कर रही है।
इस मामले में मुंबई पुलिस के सहायक निरीक्षक सचिन वाजे को गिरफ्तार किया जा चुका है। यही नहीं स्कॉर्पियों के कथित मालिक मनसुख हीरेन की हत्या मामले में भी वाजे की कथित भूमिका की जांच कर रही है।
यह भी पढ़ेँः रेल यात्रियों के लिए बड़ा झटका, ट्रेन में अब रात को चार्ज नहीं कर पाएंगे मोबाइल-लैपटॉप सिंह की शिकायत पर हाई कोर्ट बुधवार को करेगा सुनवाईउधर मुंबई हाईकोर्ट परमबीर सिंह की शिकायत पर बुधवार को सुनवाई करेगा। सिंह ने याचिका में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध किया है।