
नई दिल्ली। देश इस साल 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। चारों तरफ जश्न-ए-आजादी की धूम है। आजादी से लेकर अब तक देश ने कई बड़े बदलाव देखे हैं। लेकिन, आज भी जब आजादी की चर्चा होती है तो कई पुराने किस्से याद आ जाते हैं। इस आजादी के लिए लोगों ने बड़ी कुर्बानियां दीं, लेकिन उनकी यादें समय के साथ छोटी पड़ती जा रही हैं। इस अवसर पर हम आपको आजादी के समय की कुछ ऐसी ही रोचक कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।
महात्मा गांधी ने नहीं सुना नेहरू का भाषण
सदियों की गुलामी के बाद 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत आजाद हुआ। इस आजादी के लिए कई लोगों ने अपनी जान तक की कुर्बानी दी। इस दिन को यादगार बनाने के लिए हर साल कई जगहों पर ध्वजारोहण किया जाता है। देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। आजादी के दिन यानी 14 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने देश को संबोधित किया था।
नेहरू के इस भाषण को 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' के नाम से जाना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी जब नेहरू जी भाषण दे रहे थे तो पूरा देश सुन रहा था। लेकिन, महात्मा गांधी ने उस भाषण को नहीं सुना। क्योंकि वह उस दिन 9 बजे सोने चले गए थे। यह एक ऐसा वाकया था जो आज तक चर्चा का विषय बना हुआ है।
पहली बार 16 अगस्त को तिरंगा फहराया
यहां आपको बता दें कि हर स्वतंत्रता दिवस पर माननीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 1947 में ऐसा नहीं हुआ था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 16 अगस्त को लाल किले से झंडा फहराया।
आजाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा पहली बार काउंसिल हाउस (संसद भवन) पर 15 अगस्त, 1947 को 10:30 बजे फहराया गया। चूंकि 15 अगस्त को नेहरू जी और अन्य नेता राज-काज के कामों में व्यस्त थे। व्यस्तता के चलते ही लाल किले पर जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त को तिरंगा फहराया।
Updated on:
15 Aug 2019 02:54 pm
Published on:
14 Aug 2019 03:24 pm
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