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मणिपुर फेक एनकाउंटर: CRPF, इम्फाल पुलिस और असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ 5 FIR

Published: Dec 08, 2018 06:30:30 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

मणिपुर फर्जी एनकाउंटर केस में सीबीआई ने हत्या के पांच एफआईआर दर्ज किए हैं।

Manipur fake encounter

मणिपुर फर्जी एनकाउंटर: CRPF, इम्फाल पुलिस और असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ 5 FIR

नई दिल्ली। मणिपुर फर्जी एनकाउंटर में बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पांच एफआईआर दर्ज की हैं। यह एफआईआर इम्फाल पुलिस, सीआरपीएफ और असम राइफल्स के जवानों और के खिलाफ दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले सीबीआई को इस केस में हत्याओं की जांच करने का आदेश दिया था। यह केस कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में जानबूझकर हत्या के मामले के तहत दर्ज की गई हैं।

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फर्जी मुठभेड़ में खारिज हुई पुलिस की याचिका

पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस कर्मियों द्वारा राज्य में अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं की सुनवाई कर रही पीठ से न्यायाधीशों को कानूनी कार्यवाही से अलग रखने की मांग वाली पुलिस की याचिका को खारिज की थी। जस्टिस मदन बी.लोकुर और जस्टिस यू.यू. ललित की पीठ ने याचिका को निराधार बताते हुए उसे खारिज कर दिया था। पहले निर्देशों को दोहराते हुए जस्टिस लोकुर ने आदेश दिया कि जांचकर्ता अधिकारियों को अदालत के 20 जुलाई के आदेश में की गई किसी टिप्पणी से प्रभावित हुए बगैर जांच कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए।

अटार्नी जनरल बोले- कठिन हालात का सामना करते हैं सशस्त्र बल

इससे पहले अटार्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल ने केंद्र की तरफ से याचिकाकर्ताओं का समर्थन करते हुए कहा कि सशस्त्र बल मणिपुर जैसे इलाकों में कठिन हालात का सामना करते है और उन्हें हालात से निपटने के लिए कई तरीके अपनाने पड़ते हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि पीठ द्वारा कथित टिप्पणी की सुरक्षा कर्मी हत्यारे हैं से पुलिस व सशस्त्र बलों का मनोबल को पूरी तरह से डगमगा गया है।

सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा फर्जी एनकाउंटर केस

बता दें कि मणिपुर पुलिस कर्मियों के अलावा 300 सेवारत सेना अधिकारी व कर्मियों ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (आफ्सपा) को कमजोर करने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। यह अधिनियम सेना को अशांत क्षेत्रों में कार्रवाई के लिए अभियोग से इम्यूनिटी प्रदान करता है। अदालत एक पीआईएल पर सुनवाई कर रही है, जिसमें मणिपुर में 1528 अतिरिक्त-न्यायिक हत्याओं की जांच की मांग की गई है। शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई 2017 को एक विशेष जांच दल का गठन किया था और मणिपुर में कथित तौर पर अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं की जांच व प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।

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