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मणिपुर : सरकारी नीतियों का विरोध कईयों  पर भारी पड़ा, 10 में से 3 के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा

  मणिपुर में कुछ लोगों ने कोरोना के खिलाफ पीएम मोदी की नीति का किया था विरोध कुछ ने सांप्रदायिक और भड़काव बयान फेसबुक पर पोस्ट कर भय का माहौल पैदा किया स्थानीय पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ डीएमए और आईपीसी के तहत मुकदता दर्ज किया

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CM N Biren Singh

मणिपुर के सीएम एन बिरेन सिंह।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus ) के खिलाफ मणिपुर सरकार ( Manipur Government ) की नीतियों का खुलकर कर विरोध करना कईयों के लिए अब मुसीबत बनकर सामने आई है। मणिपुर सरकार ने इनमें से कुछ के खिलाफ सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने और लोगों को भड़काने के आरोप में मुकदमा ( FIR ) दर्ज कराया है। इम्फाल पश्चिम ( Imphal West ) के 10 में से 3 लोगों के खिलाफ तो राजद्रोह ( Sedition ) तक का मुकदमा दर्ज हुआ है। अब इन्हीं मामलों में पुलिस ने कार्रवाई शुरू की है।

मणिपुर सरकार के आदेश पर पुलिस ने विरोध करने वालों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड सहिता ( DMA and IPC ) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जिन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें से एक युमनाम देवजीत ने वॉयस मैसेज जारी कर लोगों से पीएम मोदी ( pm modi ) की अपील पर पर दीया नहीं जलाने के लिए उकसाया था। उन्होंने पीएम मोदी की इस नीति का खुलकर मणिपुर में विरोध किया था। देवजीत के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के कुछ दिनों बाद मणिपुर के उप मुख्यमंत्री युनाम जॉयकुमार को सभी पोर्टफोलियो से हाथ धोना पड़ा था।

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इसी तरह यूथ फ़ोरम के दो कार्यकर्ता तखेनचंगबम शशिकांत और खंजरकपम फेजटन के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 (बी) और अपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज है। हाल ही में 27 वर्षीय निजी स्कूल के शिक्षक जोतिन मीतेई वकंबम और 5 अन्य लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वेकंबम व अन्य पर फेसबुक पोस्ट में राजद्रोह का अपराध करने का आरोप है।

लेकिन इस मामले में इम्फाल ईस्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दो दिनों के बाद जमानत पर इन लोगों को रिहा कर दिया। जज ने फेसबुक पोस्ट के लिए पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमा को सही नहीं माना।

इंफाल पश्चिम के पुलिस अधीक्षक के मेघचंद्र नेबताया कि देवजीत के खिलाफ मुकदमा गलत सूचना फैलाने और लोगों में भय पैदा करने के आरोप में दर्ज है। उन्होंने कहा कि हमें सरकार की आलोचना से कोई समस्या नहीं है। लेकिन आलोचना का स्वरूप सांप्रदायिक और जनता को गुमराह करने वाला होने पर वो गंभीर अपराध की श्रेणी में आ जाता है।

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बता दें कि पिछले साल सरकार की आलोचना करने पर जेएनयू के रिसर्च स्कॉलर मोहम्मद चिंगिज़ खान और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद इम्तियाज खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इनमें से चिंगिज खान के खिलाफ एक लेख के लिए राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था। पिछले साल अप्रैल में किशोरचंद्र वांगखेम पर राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए एनएसए के तहत मामला दर्ज किया था। साढ़े चार महीने तक हिरासत में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली थी।