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मार्शल अर्जन सिंह: व्हील चेयर पर आए और खड़े होकर डॉ. कलाम को दी थी सलामी

पूर्व वायुसेना प्रमुख अर्जन सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया।

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Marshal Arjan Singh

नई दिल्ली। 1965 भारत-पाकिस्तान जंग में निर्णायक भूमिका निभाने वाले पूर्व वायुसेना प्रमुख अर्जन सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया। शनिवार सुबह उन्हें आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 98 वर्षीय अर्जन सिंह को शनिवार सुबह दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें आर्मी हॉस्पिटल आर एंड आर में कराया गया था।

प्रधानमंत्रनरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण उन्हें देखने पहुंची थीं। भारतीय सेना के लिए मिसाल माने जाने वाले सिंह ने 1965 में सबसे युवा वायु सेना प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। उस समय उनकी आयु महज 44 वर्ष थी। 1965 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम को अंजाम दिया और पाकिस्तानी टैंकों ने अखनूर शहर पर धावा बोल दिया।

जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने सभी सेना प्रमुखों को तलब किया और चंद मिनटों की इस मुलाकात में अर्जन सिंह से पूछा गया कि वह कितनी जल्दी पाक के बढ़ते टैंकों को रोकने के लिए एयर फोर्स का हमला कर सकते हैं। अर्जन सिंह ने रक्षा मंत्रालय से हमला करने के लिए सिर्फ एक घंटे का समय मांगा।

वादे के मुताबिक अर्जन सिंह अपनी बात पर खरे उतरे और अखनूर की तरफ बढ़ रहे पाक टैंकों और सेना के खिलाफ पहला हवाई हमला एक घंटे से भी कम समय में कर दिया। उनके इस हमले ने पाकिस्तान की हार तय कर दी।

व्हील चेयर पर आए और खड़े होकर कलाम को किया था सैल्यूट
27 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लाया गया। तब कलाम के अंतिम दर्शन के लिए राष्ट्रपति और पीएम समेत कई नेता पहुंचे थे। लेकिन सबकी नजरें कांपते हाथों से सैल्यूट करते योद्धा अर्जन सिंह पर थीं। वे आए तो व्हीलचेयर पर थे, लेकिन कलाम को देखते ही खुद चलकर पास आए और तनकर सलामी भी दी थी।

फाइव स्टार रैंकिंग वाले इकलौते अधिकारी
पंजाब के लायलपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में जन्मे अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें साल 2002 में फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक देकर प्रमोशन दिया गया था।

1965 के युद्ध में वायु सेना में अपने योगदान के लिए उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नत होकर एयर चीफ मार्शल बनाया गया। वे भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे। उन्हें 1971 में स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था। वे भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे।

उन्होंने 1969 में 50 साल की उम्र में अपनी सेवाओं से रिटायर्डमेंट ली। रिटायर्डमेंट के बाद उन्हें 1971 में स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था। उन्होंने समवर्ती वेटिकन के राजदूत के रूप में भी सेवा की।

मार्शल कभी रिटायर नहीं होते हैं
देश में अब तक एयर मार्शल अर्जन सिंह, फील्ड मार्शल मानिक शॉ और केएम करियप्पा को ही 5 स्टार रैंक मिली है। मार्शल कभी सेना से रिटायर नहीं होते हैं। अर्जन सिंह 2002 में 5 स्टार रैंक के लिए प्रमोट हुए। उन्हें पद्म विभूषण अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।