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राज्यसभा में सदस्य अब किसी भी भारतीय भाषा में दे सकते हैं भाषण, इन भाषाओं के लिए लगाई गई अनुवादक टीम

मानसून सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक चलेगा। राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने बताया कि राज्यसभा सांसद संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी भाषण दे सकते हैं

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नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने मंगलवार जानकारी दी कि संसद के आगामी मानसून सत्र में राज्यसभा सांसद संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी भाषण दे सकते हैं। राज्यसभा सचिवालय ने पांच अन्य भाषाओं डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी के लिए एक साथ अनुवाद की व्यवस्था की है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने औपचारिक रूप से इन भाषाओं के लिए अनुवादकों को अनुवादक टीम में शामिल किया। 22 भाषाओं में राज्यसभा में पहले से ही 11 भाषाओं असम, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलगु और उर्दू में अनुवादक की व्यवस्था है। जबकि, बोडो, मैथली, मणीपुरी, मराठी, नेपाली भाषाओं में लोकसभा के अनुवादकों की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि, "मैं हमेशा महसूस करता हूं कि मातृभाषा बिना किसी अवरोध के हमारे अनुभवों और विचारों को व्यक्त करने का स्वाभाविक माध्यम होती है। संसद में बहुभाषी व्यवस्था के तहत, सदस्यों को भाषा की बाधाओं की वजह से अपने आप को दूसरे से कम नहीं आंकना चाहिए।" साथ ही उन्होंने कहा कि , "इसलिए मैं सभी 22 भाषाओं में अनुवाद सुविधा मुहैया कराना चाहता था। मैं खुश हूं कि आगामी मानसून सत्र में यह वास्तविकता बनेगा।"

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कब शुरू होगा मानसून सत्र?

मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा और 10 अगस्त तक चलेगा। इस बार फिर से कई अहम विधेयक सरकार संसद में पेश करेगी। आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इसमें 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को कड़ी सजा, यहां तक कि सजा-ए-मौत तक का प्रावधान है। संशोधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद यह 21 अप्रैल को जारी किए गए आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा।

स्पीकर ने लिखा भावुक पत्र

संसद के मानसून सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सांसदों को एक खत लिख नैतिक जिम्मेदारी याद दिलाई। उन्होंने लिखा अगर सांसद अतीत में दूसरे दलों के आचरण का हवाला देते हुए व्यवधान को उचित ठहरायेंगे, तब संसद में ‘व्यवधान का चक्र' कभी खत्म नहीं होगा।


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