
प्रवासी मजदूरों को बिना चप्पल पैदल निकलने के लिए मजबूर किया गया।
नई दिल्ली। पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत ( India ) में भी कोरोना वायरस ( coronavirus ) का प्रकोप जारी है। देश में 20 हजार से ज्यादा लोग इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 872 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 61 सौ से ज्यादा लोग इस महामारी से ठीक हो चुके हैं। इस वायरस से लड़ने के लिए देश में अगामी तीन मई तक के लिए लॉकडाउन ( Lockdown 2.0 ) लागू है। लेकिन, इस लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों ( Migrant Workers ) को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में हरियाणा ( Haryana ) में फंसे यूपी ( Uttar Pradesh ) के मजदूरों को पंजायत ने गांव छोड़कर जाने का फरमान सुना दिया। जिसके बाद पूरा परिवार बिना चप्पल ही पैदल निकल पड़ा।
जानकारी के मुताबिक, यूपी के रहने वाले कुछ मजदूर हरियाणा में रहकर मेहनत मजदूरी कर अपना गुजारा कर रहे थे। लेकिन, लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। लिहाजा, पूरा एक गांव में फंस गया। राशन-पानी खत्म होने पर सरपंच से न्याय की गुहार लगाई। उन मजदूरों को कुछ दिन तो राशन-पानी मिला। लेकिन, बाद में सरपंच ने यह कहकर उन्हें गांव से निकाल दिया गया कि श्रमिक परिवारों के लिए प्रशासन द्वारा वाहनों का प्रबंध करके घर भेजा जा रहा है। इसके बाद प्रशासन ने उन सभी मजदूरों को शेल्टर होम में शरण दिलवाई।
यूपी के इन मजदूरों का कहना है कि वे यहां पर पैसे कमाने के लिए थे। लेकिन, लॉकडाउन के कारण काम-धंधा बंद हो गया है। कुछ दिनों तक एक गांव में रुक कर सरपंच से राशन-पानी दिया। लेकिन, बाद में उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए और यह कहकर भेज दिया कि प्रशासन ने वाहनों का प्रबंध करके घर भेजा जा रहा है। लेकिन, जब कोई साधन नहीं मिला तो पैदल ही निकल पड़े। इधर प्रशासन का कहना है कि इन लोगों की कुल संख्या 30 है, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। अब उन्हें पता ही नहीं कि साधन कहां मिलेंगे और वे कब घर पहुंच पाएंगे। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि इन मजदूरों के साथ गलत किया गया। ऐसे में उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने मजदूरों के साथ ऐसा किया।
Updated on:
27 Apr 2020 11:54 am
Published on:
27 Apr 2020 10:10 am
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