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धारा 377 पर क्या है मोदी सरकार का स्टैंड? पहली बार आधिकारिक तौर पर आया सामने

केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि समलैंगिक संबंध बनाना किसी की निजी सोच या पसंद हो सकती है।

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Kapil Tiwari

Jul 22, 2018

Ravi Shankar prasad

Ravi Shankar prasad

नई दिल्ली। धारा 377 यानि की समलैंगिकता को देश के अंदर कानूनी मान्यता देने वाला मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, लेकिन इसको लेकर देश के अंदर बहस जारी है। ऐसे में हर कोई ये भी जानना चाहता है कि इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार की क्या राय है? हालांकि जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था और सुनवाई शुरू हुई थी तो केंद्र सरकार ने इस मामले को पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल दिया था। केंद्र सरकार ने कहा था कि इस मामले पर पूरी तरह से फैसला लेने का हक सुप्रीम कोर्ट का है, हम इसे कोर्ट के उपर ही छोड़ते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

धारा 377 पर केंद्र सरकार आधिकारिक रूख आया सामने

इस बीच धारा 377 को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का एक बड़ा बयान आया है। केंद्र सरकार ने पहली बार इस मामले पर आधिकारिक तौर पर अपना रुख साफ किया है। केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि समलैंगिक संबंध बनाना किसी की निजी सोच या पसंद हो सकती है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'हमारा समाज तेजी से बदल रहा है, समाज के साथ-साथ सोच में भी परिवर्तन आ रहा है और धारा 377 पर सरकार का रुख भी उसी को दिखाता है। ऐसा माना जाता है कि यौन वरीयता किसी की निजी पसंद हो सकती है, तो इसे अपराध की श्रेणी से बाहर क्यों न कर दिया जाए? यह पूरी तरह से मानवीय पंसद का मामला है। यह भारत में रह रहे लोगों के विचारों में आ रहे बदलाव को दिखाता है।'

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया है फैसला

आपको बता दें कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया जाए या नहीं, केंद्र सरकार ने ये फैसला पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस मामले पर कोई स्टैंड नहीं लिया था और कहा था कि कोर्ट ही तय करे कि 377 के तहत सहमति से बालिगों का समलैंगिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं। इस इंटरव्यू में रविशंकर प्रसाद ने देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही लिंचिंग की घटनाओं पर भी बात की। उसपर उन्होंने कहा, 'हम भीड़ द्वारा हो रही हिंसक घटनाओं के खिलाफ हैं, हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार कर रहे हैं। संविधान में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कुछ प्रावधान हैं, उनका इस्तेमाल जरूर होना चाहिए।'