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बिहार: गंगा-जमुनी तहजीब की दिखी मिसाल, मुस्लिम महिलाएं बनाती हैं छठ के लिए चूल्हे

मजहबों के बीच की दूनियां मिटाता है छठ का पर्व छठ का प्रसाद बनाने के लिए प्रयोग होने वाले चूल्हे बनाती हैं मुस्लिम महिलाएं

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नई दिल्ली। सूर्योपासना का महापर्व छठ ना केवल लोक आस्था का पर्व है, बल्कि इस पर्व में मजहबों के बीच दूरियां भी मिट जाती हैं। बिहार में छठ पर्व के लिए जिस चूल्हे पर छठव्रती प्रसाद बनाती हैं, वह मुस्लिम परिवारों का बनाया होता है। यही नहीं, कई जिलों में मुस्लिम महिलाएं भी छठ पर्व करती हैं।

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पटना के कई मुहल्ले की मुस्लिम महिलाएं छठ पर्व से एक पखवाड़े पहले से ही छठ के लिए चूल्हा तैयार करने में जुट जाती हैं। चूल्हे के लिए मिट्टी गंगा तट से लाई जाती है। इस मिट्टी से कंकड़-पत्थर निकालकर इसमें भूसा और पानी डालकर गूंथा जाता है। मिट्टी के इस लोंदे से चूल्हे तैयार किए जाते हैं।

बता दें कि जिस मुस्लिम परिवार की महिलाएं ये चूल्हे बनाती हैं, उनके घर में एक महीना पहले से ही मांस और लहसुन-प्याज खाना बंद कर दिया जाता है। उज्ज्वला योजना के बावजूद गांवों में मिट्टी के चूल्हे सभी घरों में बनाकर रखे जाते हैं। लेकिन पटना में ऐसा नहीं होता। यहां के लोगों को छठ पर्व में मिट्टी का चूल्हा खरीदना पड़ता है।

पटना के वीरचंद पटेल मार्ग में मिट्टी के चूल्हे बनाकर बेचने वाली सनिजा खातून ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'मेरे ससुर भी यह काम किया करते थे। मेरे घर में यह काम 40 साल से हो रहा है। ससुर के इंतकाल के बाद हमलोग छठ पर्व के लिए चूल्हे बनाते हैं।'

पटना के आर ब्लॉक मुहल्ले में रहने वाले महताब ने कहा कि इस बार चूल्हा बनाने वालों को मिट्टी जुटाने में बड़ी दिक्कत हुई, क्योंकि पुनपुन, गंगा और सोन नदी में बाढ़ की वजह से मिट्टी आसानी से नहीं मिल पाई।

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उन्होंने कहा, 'बाढ़ की वजह से मिट्टी दलदली हो गई, इसलिए मिट्टी मिलने में समस्या हुई। यही वजह है कि इस साल कम चूल्हे बन पाए। किल्लत की वजह से इस बार चूल्हे की कीमत बढ़ गई है।'