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ओली का आरोप: संसद भंग करने के लिए मेरी पार्टी ने मुझ पर दबाव बनाया, इसके लिए साजिशें भी रची गईं

Highlights. - नेपाल में संसद भंग करने पर मचा हंगामा - ‘संवैधानिक तख्तापलट’ को कोर्ट में चुनौती देंगे विरोधी - संसद भंग करने और मध्यावधि चुनावों को चुनौती देने के लिए कोर्ट का रुख किया  

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Ashutosh Pathak

Dec 22, 2020

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नई दिल्ली/काठमांडू.

नेपाल में प्रधानमंत्री के विरोधियों ने संसद को भंग करने और मध्यावधि चुनावों को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। विरोधियों ने पीएम केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर संसद भंग करने और मध्यावधि चुनाव करवाने को ‘संवैधानिक तख्तापलट’ कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता भद्रकाली पोखरेल के अनुसार प्रतिनिधि सभा यानी संसद को भंग करने के खिलाफ तीन याचिकाएं ‘पंजीकृत होने की प्रक्रिया’ में है। याचिकाकर्ताओं में से एक वकील दिनेश त्रिपाठी का कहना है, ‘संविधान के तहत, पीएम के पास संसद को भंग करने के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं है। यह एक संवैधानिक तख्तापलट है। मैं अदालत से स्थगन आदेश लेना चाहता हूं।’ कोर्ट में याचिकाओं को पंजीकृत कर लिया जाता है तो फैसला आने में लगभग दो हफ्ते लग सकते हैं।

मुझे मजबूर किया गया: ओली
ओली ने देश के नाम संबोधन में कहा कि वे नए सिरे से जनादेश लेने के लिए मजबूर किए गए, क्योंकि उनकी ही पार्टी में दरार से कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी चल रही थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत से सीमा विवाद के मुद्दे के समाधान की चर्चा में विकास हुआ है।