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Nasal Covid Vaccine : अब नहीं रहेगा सुई का डर, खोलो, नाक में डालो और हो गया…

देश में नेजल कोविड वैक्सीन के पहले चरण का ट्रायल शुरू। भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन के ट्रायल को डीसीजीआइ ने दी है मंजूरी।

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नीति आयोग के सदस्य और कोविड टास्क फोर्स के वीके पॉल बता चुके हैं गेम चेंजर।

नई दिल्ली। दुनिया भर के देशों में कोविड-19 वैक्सीन आने से अब लोगों में एक उम्मीद की लहर है कि जल्द ही वे महामारी को हरा देंगे। हालांकि, वैक्सीनेशन के दौरान लगने वाले इंजेक्शन को लेकर लोगों के मन में सवाल और डर बना हुआ है। इसी बीच, अच्छी खबर ये भी है कि अब कोविड-19 की नेजल (नाक से उपयोग की जाने वाली) वैक्सीन का निर्माण हो रहा है। कोवैक्सीन बनाने के बाद भारत बायोटेक अब नेजल वैक्सीन की ओर बढ़ गई है। वैक्सीन को उसे पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। पहले चरण के 75 वॉलिंटियर का चयन भी पूरा हो गया है। हालांकि जानवरों पर किए गए इसके परीक्षण सफल रहे हैं।

ऐसे काम करती है नेजल स्प्रे वैक्सीन

नेजल वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों का लक्ष्य व्यक्ति को नाक के जरिए सीधे श्वसन मार्ग में खुराक पहुंचाना है। नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन की बजाय नाक से दिया जाता है। यह नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्युन तैयार करती है। इसे ज्यादा कारगर इसलिए भी माना जाता है क्योंकि कोरोना समेत हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियों के संक्रमण का रास्ता प्रमुख रूप से नाक ही होती है। नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है।

फिलहाल ये नेजल वैक्सीन मौजूद

अमरीका जैसे देशों में बाजार में इंफ्लूएंजा और नेजल फ्लू की नेजल वैक्सीन उपलब्ध हैं। इसी तरह जानवरों में केनेल कफ के लिए कुत्तों को वैक्सीन नाक के रास्ते दी जाती है। अफ्रीका में 2004 में एंथ्रेक्स बीमारी के समय प्रयोग के तौर पर बंदरों को नेजल वैक्सीन दी गई थी।

दुनिया में यहां चल रहा ट्रायल

- ऑस्ट्रेलिया के यहां वैज्ञानिकों ने नेजल वैक्सीन का प्रयोग जानवरों पर किया और इसे कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी पाया।

- यूरोपीयन बिल्लियों पर फैरेट की नेजल वैक्सीन आइएनएनए-051 के प्रयोग में पाया गया कि कोरोना वायरस का असर 96 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

- ब्रिटिश मेडिकल एजेंसी के ट्रायल में जानवरों पर नेजल वैक्सीन के असर में कई अहम बातें सामने आई हैं। चूहों की प्रजाति के रेडेन्ट को दिए गए नेजल वैक्सीन के दो डोज में एंटीबॉडी और टी-सेल रेस्पॉन्स पाया गया। इसे कोरोना का कारण बताए जा रहे सार्स-कोव-2 की रोकथाम के लिए बहुत कारगर माना जाता है।

- चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि नेजेल वैक्सीन लोगों के लिए इंफ्लूएंजा और नोवल कोरोना वायरस दोनों से प्रोटेक्शन तैयार कर सकती है। वैज्ञानिकों आने वाले वर्षों में तीन क्लीनिकल ट्रायल कर इसका पता लगाएंगे कि एच1एन1, एच3एन2 और बी वायरस पर ये कितना कारगर है?

इनके लिए अधिक फायदेमंद

इंग्लैंड के लैंससेस्टर यूनिवर्सिटी और सैन एटोरियो के टेक्सास बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के शोध में नेजल वैक्सीन से लंग्स को नुकसान कम करने में भी कारगर पाया गया। इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने माना कि नेजल वैक्सीन इंजेक्शन से छुटकारे के साथ-साथ उन लोगों के लिए भी कारगर हो सकते हैं जो इंजेक्शन फोबिया से ग्रसित हैं या ब्लड क्लॉटिंग जैसे डिसऑर्डर के शिकार हैं।

नेजल वैक्सीन के फायदे

- नेजल वैक्सीन न सिर्फ कोरोनावायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से रोकने में भी मददगार साबित होगी।
- यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं।
- इससे सुई और सिरिंज की खपत भी रुकेगी और कचरा भी कम होगा। हैल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं।
- इसका डोज शरीर में जल्द इम्युनिटी प्रोवाइड करता है और इसके साथ ही संक्रमण को भी रोकता है।

गेम चेंजर

नीति आयोग के सदस्य एवं कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष वीके पॉल का कहना है कि हमने नेजल कोविड वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी दी है। अगर यह वैक्सीन काम करती है तो पूरी तरह से गेम चेंजर साबित होगी।


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