
नई दिल्ली
उत्तराखंड के चमोली जिले में गत सात फरवरी को सुबह दस बजे ग्लेशियर फटने से आई तबाही के निशान अभी भी बाकी हैं। बाढ़ से लोग अब भी परेशान है। राहत एवं बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों के अलावा दूसरी केंद्रीय एजेंसियों मसलन, डीआरडीओ, सेंट्रल वॉटर कमीशन, आर्मी और दूसरी एजेंसियां भी इसमें अपनी सेवाएं दे रही हैं। इसी क्रम में अब भारतीय नौसेना के नेवी डाइवर्स भी अपनी सेवाएं देंगे। नेवी डाइवर्स इस त्रासदी की वजह से बनी झील की गहराई का पता लगाएंगे। साथ ही, यह भी खोजेंगे कि कहीं इस हादसे में अब तक गुम लोगों के शव तो उसमें नहीं है।
बता दें कि चमोली जिले में ग्लेशियर टूटन से सैंकड़ों लोगों की जान जाने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, पानी अधिक होने से वहां एक झील बन गई है। इस झील के बनने से पर्यावरण पर क्या होगा, अधिकारी इसका आकलन करने में जुटे हैं।
कौन क्या पड़ताल कर रहा
सेंट्रल वाटर कमीशन इस बात की जांच कर रहा है कि किन स्रोतों से पानी इस झील में जमा हुआ है। पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े विशेषज्ञों की टीम यह पड़ताल कर रही है कि इस झील में कितना पानी एकत्रित हुआ है। वहीं, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ इस बात का आकलन कर रहे हैं कि किस ओर इस झील का पानी छोड़ा जाए, जबकि भारतीय नौसेना के नेवी डाइवर्स यह पता लगाएंगे कि झील कितनी गहरी है और इसमें गुम हुए लोगों शव तो नहीं हैं।
खास ट्रेनिंग दी जाती है इन डाइवर्स को
भारतीय नौसेना के इन नेवी डाइवर्स को खास ट्रेनिंग दी जाती है। गहरे पानी में जाकर नौसेना के जहाजों की मरम्मत करना, समुद्र के नीचे संभावित प्राकृतिक आपदाओं को लेकर आगाह करना, जहाजों के कचरे को साफ करना और जहाजों पर तैनात नौसेनिकों को जरूरी मदद मुहैया कराना इन नेवी डाइवर्स का प्रमुख काम होता है। बीते कुछ वर्षों में ऐसे इलाके जहां भीषण बाढ़ आई, वहां भी राहत कार्य और दूसरी जांच के लिए इन्हें भेजा गया है।
Published on:
26 Feb 2021 09:54 am
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