16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Nepal के राजदूत का दावा, किसी देश के प्रभाव में काम करने का दावा आधारहीन

नेपाल के राजदूत ( Nepal envoy to India ) नीलांबर आचार्य ( Nilamber Acharya ) ने एक साक्षात्कार में कई मुद्दों पर रखी अपनी बात। कहा- नेपाल और भारत के संबंध ( Indo-Nepal relations ) बहुत पुराने और मैत्री, किसी मुद्दे को ना दें तूल। भारत-नेपाल सीमा ( Indo-Nepal border ) के मामले को लेकर कहा जल्द होना चाहिए इसका निपटारा।  

3 min read
Google source verification
Nepal Envoy Nilambar Acharya clears many issues

Nepal Envoy Nilambar Acharya clears many issues

नई दिल्ली। नेपाल के राजदूत ( Nepal envoy to India ) ने कहा है कि हम एक देश की कीमत पर दूसरे देश के साथ अपने संबंध विकसित नहीं करते हैं। आज एक-दूसरे से जुड़ी दुनिया में संबंध रखना कोई आसान बात नहीं है। इसलिए नेपाल के बारे में यह धारणा कि वो अन्य देशों के दबाव में काम कर रहा है, पूरी तरह से आधारहीन है और वह इसका कोई अर्थ नहीं है।

भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ( Nilamber Acharya ) ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। क्या पुराने कालापानी मुद्दे ( Kalapani Tension ) को भड़काने में चीन की भूमिका थी के सवाल पर आचार्य ने कहा, "यह एक अड़चन है जिसे जल्द ही सुलझाने की जरूरत है... सीमा का सवाल लोगों की भावनाओं के साथ दृढ़ता से जुड़ा होता है। पहला यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम समयबद्ध और उचित तरीके से द्विपक्षीय संबंधों ( Indo-Nepal border ) की अड़चन को दूर करें और दूसरा, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी विशेष मुद्दे को इतना तूल ना दें कि पड़ोसी संबंधों में खराबी आए।"

नेपाल के कानून और न्याय मंत्री और श्रीलंका के दूत के रूप में भी काम कर चुके आचार्य ने कहा, "नेपाल लगातार मैत्रीपूर्ण वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दे ( Indo-Nepal Border Clash ) के समाधान पर जोर दे रहा है, और हाल ही में पिछले साल दिसंबर में इस मुद्दे पर बात करने के लिए विदेश सचिवों की बैठक की तारीख तय करने के लिए काठमांडू ने नई दिल्ली से संपर्क भी किया।"

उन्होंने आगे कहा कि लेकिन तारीख तय नहीं हो सकी और मुद्दा बना रहा। आचार्य ने कहा कि नेपाल-भारत सीमा संरेखण का एक प्रमुख खंड सहमत हो गया है और स्ट्रिप मैप्स संयुक्त रूप से तैयार किए गए हैं।

आचार्च ने कहा, "इस संदर्भ में यदि हम इस समस्या से निपटने के लिए पहले से तैयार थे तो छोटे शेष हिस्सों का समाधान मुश्किल नहीं होगा। कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर नेपाल का दावा भारतीय पक्ष को पता है। ये क्षेत्र काली नदी के पूर्व में स्थित हैं और इसलिए सुगौली की संधि के अनुसार नेपाल से संबंधित हैं। हमारी सीमा संरेखण का अधिकांश हिस्सा तय हो चुका है। आइए शेष दो छोटे खंडों पर समझौता करें और नेपाल-भारत सीमा के पूर्ण प्रस्ताव की घोषणा करें। जब ऐसा होता है, तो नेपाल-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के बीच परेशानी बना एक मुद्दा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।"

भारत और नेपाल के पारंपरिक-रोटी-बेटी संबंधों ( Indo-Nepal relations ) पर सीमा विवाद का क्या प्रभाव होगा पर आचार्च ने कहा, "नेपाल-भारत संबंध किसी विशेष मुद्दे या विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। इन संबंधों का दायरा और गहराई अपार है और पारंपरिक सांस्कृतिक निकटता के साथ-साथ संप्रभु समानता, पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक लाभ के पवित्र सिद्धांतों के पालन से इन संबंधों को ठोस आधार मिलता है।"

अयोध्या पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ( Nepal PM Oli ) की हालिया टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आचार्य ने कहा, "हमारे विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री केवल रामायण द्वारा प्रस्तुत विस्तृत सांस्कृतिक भूगोल पर शोध और अध्ययन को आगे बढ़ाए जाने के महत्व को बता रहे थे। रामायण का नेपाली भाषा में अनुवाद करने वाले भानुभक्त आचार्य की जयंती मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में की गई पीएम की टिप्पणी किसी भी राजनीतिक विषय से जुड़ी नहीं थी। अतिशयोक्ति के मामले में जुड़ने होने की कोई जरूरत नहीं है।" बता दें कि ओली ने इस दौरान दावा किया था कि भगवान राम की वास्तविक जन्मभूमि नेपाल में थी।