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NGT का बड़ा बयान: रेप-मर्डर से छोटा अपराध नहीं प्रदूषण फैलाना, हर साल होती हैं लाखों मौतें

प्रदूषण को लेकर राज्य सरकारों को NGT की फटकार वायु प्रदूषण से हर साल 12.5 प्रतिशत मौतें गुजरात में सबसे ज्यादा होती हैं मौतें

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नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण और कचरे को लेकर राज्य सरकारों को फटकार लगाई है। एनजीटी ने कहा कि कचरा प्रबंधन को लेकर राज्य सरकारों की ओर से कोई नियम नहीं बनाए गए हैं। एनजीटी चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि जिस तरह मर्डर या रेप बड़े अपराधों की श्रेणी में आते हैं। वैसे ही प्रदूषण फैलाना भी एक बड़ा अपराध है।

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गोयल ने कहा कि पूरी दुनिया प्रदूषण को लेकर गंभीर है, लेकिन हम इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए काफी अफसोस हो रहा है कि हमारे देश का कोई भी राज्य कचरा प्रबंधन को लेकर गंभीर नहीं है और ना ही इससे जुड़े कोई नियम बनाए हैं। इसे लेकर फंड की कमी का बहाना नहीं बनाया जा सकता है। बता दें कि जस्टिस गोयल ने ये बातें बीते बुधवार को गुजरात सरकार की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं।

जस्टिस गोयल ने कहा कि प्रदूषण की वजह से भारत में हर साल अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियों से छह लाख लोगों की मौत होती है। इन मौतों में सबसे ज्यादा हिस्सा गुजरात का है। अकेले गुजरात में हर साल 50 हजार लोगों की मौत होती है। एनजीटी प्रमुख ने कहा कि जब तक हम पर्यावरण को ठीक नहीं रखते तब तक इसी तरह मौत की निंद सोते रहेंगे। इसलिए जरूरी है कि हम प्रदूषण को लेकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें।

वायु प्रदूषण से हर साल 12.5 प्रतिशत मौतें

5 जुन को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। विश्व पर्यावरण दिवस पर कई चौंका देने वाले अध्ययन सामने आए हैं। बता दें कि प्रदूषण से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। इसमें वायु प्रदूषण सबसे गंभीर है। विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण थिंक टैंक सीएसई के स्टेट ऑफ इंडियाज इन्वायरन्मेंट (एसओई) की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण राष्ट्रीय आपात जैसी बन गई है। वायू प्रदूषण से भारत में हर पांच वर्ष से कम उम्र के एक लाख बच्चों की जान जाती है। वही, वायु प्रदूषण देश में होने वाली 12.5 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है।

दिल्ली में प्रदुषण

लगातार जारी विकास और आधुनिकता की दौड़ में इंसान अब तक पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा चुका है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगाता गिरता जा रहा है। वायू प्रदूषण की वजह से दिल्ली की आबो-हवा प्रदूषित होती जा रही है। यही वजह है कि देश की राजधानी में वायू प्रदूषण से लगातार लोग बीमार हो रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप दीपावली और पाराली जलाने के दौरान दिखता है, जिसका असर महीनों रहता है। दिल्ली में अक्तूबर की शुरुआत से लेकर दिसंबर तक स्मॉग का आतंक बना रहता है। इसमें सबसे प्रमुख होता है पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण।

PM 2.5 क्या होता है?

1. PM का मतलब हो ता है पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण। इसके कण बेहद सूक्ष्म होते हैं जो हवा में बहते हैं।
2. पीएम 2.5 या पीएम 10 हवा में कण के साइज़ को बताता है।
3. आपको बता दें कि हमारे शरीर के बाल PM 50 के साइज के बराबर होते हैं।
4. 24 घंटे में हवा में PM 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए।
5. इससे ज़्यादा होने पर स्थिति ख़तरनाक मानी जाती है।