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तीन महीने में 693 किसानों ने की खुदकुशी, केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

693 किसानों की खुदकुशी पर मानवाधिकार संस्था का मानना है कि केन्द्र और राज्य सरकारों की फसल बीमा तथा ऋण माफी योजना की घोषणाओं के बावजूद गरीब किसानों के जीवन में बदलाव नहीं आ रहा। फसल बर्बाद होने के बाद किसान अभी भी मौत को ही गले लगा रहा है।

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Chandra Prakash Chourasia

Jul 16, 2018

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तीन महीने में 693 किसानों ने की खुदकुशी, केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में किसानों की बढ़ती खुदकुशी की घटना को लेकर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी हुआ है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस वर्ष मार्च से मई के बीच 639 किसानों की आत्महत्या से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए केन्द्रीय कृषि सचिव और महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। आयोग के अनुसार मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि किसानों की आत्महत्या के आंकड़े महाराष्ट्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में विधानसभा में रखे हैं। किसानों की आत्महत्या का कारण फसल की बर्बादी, कर्ज का बोझ और कर्ज की अदायगी नहीं कर पाना बताया गया है।

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केंद्र से पूछा- इस स्थिति से कैसे निपटेंगे

आयोग ने केन्द्रीय कृषि सचिव और और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में विस्तार से रिपोर्ट देने को कहा है। रिपोर्ट में यह भी पूछा गया है कि पीड़ित परिवारों को किसान कल्याण तथा राहत योजनाओं से क्या मदद दी गई है। आयोग ने केन्द्र से यह भी पूछा है कि क्या उसके पास इस स्थिति से निपटने की कोई योजना या प्रणाली है। आयोग का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है कि जब इस तरह की खबर उसके संज्ञान में आई है। उसे महाराष्ट्र सहित देश भर में किसानों की आत्महत्या से जुडी शिकायतें मिल रही हैं। उसने इन मामलों का संज्ञान भी लिया है। इतनी बड़ी संख्या में किसानों का आत्महत्या करना गंभीर मामला है क्योंकि यह पीड़ित के जीने के अधिकार से जुड़ा है। कमाने वाले सदस्य की अचानक मौत से उनके परिवार भी दबाव में आ जाते हैं।

सरकार की योजना से नहीं बदल रहा किसानों का जीवन

मानवाधिकार संस्था का मानना है कि केन्द्र और राज्य सरकारों की फसल बीमा तथा ऋण माफी योजना की घोषणाओं के बावजूद गरीब किसानों के जीवन में बदलाव नहीं आ रहा। फसल बर्बाद होने के बाद किसान अभी भी मौत को ही गले लगा रहा है। जरूरत इस बात की है कि केन्द्र और राज्य सरकार जिन योजनाओं की घोषणा करते हैं उन्हें वास्तव में लागू भी कराएं जिससे कि किसानों की आत्महत्या जैसी त्रासदी को रोका जा सके।

चार साल में 13 हजार किसानों ने की खुदकुशी

आयोग ने कहा है कि 15 जुलाई को मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में एक मार्च से 31 मई 2018 के बीच 639 किसानों ने आत्महत्या की है। राज्य के राजस्व मंत्री ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सरकार की किसानों से संबंधित योजनाओं के विफल रहने के कारण किसानों की आत्महत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले चार वर्षों में लगभग 13 हजार किसानों ने आत्महत्या की है और इसमें से 1500 ने पिछले एक वर्ष में अपनी जीवनलीला समाप्त की है।